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एक कार्यक्रम ऐसा जिसमेंवनवासी क्रांतिकारियों का स्मरण किया गयावनस्वर के “गोंडी संस्कृति विशेषांक” का लोकार्पण करते हुए (बाएं से) श्री हरि भटनागर,श्री ईश्वरदास रोहाणी, डा. सुधाकर नाथ मिश्रा, श्री मणिराम पाल एवं श्रीमती चित्रा ताई ढोकगत 18 सितम्बर को जबलपुर में शहीद राजा शंकर शाह के 148वें बलिदान दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन वनवासियों के लिए समर्पित पत्रिका “वनस्वर” ने किया था।उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों ने 1857 को इसी दिन गढ़पुरबा के राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह को तोप से उड़ा दिया था। कार्यक्रम इन दोनों के बलिदानियों के स्मारक स्थल पर ही हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री ईश्वरदास रोहाणी। इस अवसर पर उन्होंने “वनस्वर” के गोंडी संस्कृति विशेषांक-2 का लोकार्पण भी किया। उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा 1857 कि स्वतंत्रता संग्राम में गोंड जनजाति के शासकों का अनुकरणीय योगदान रहा है। अंग्रेजों के शासन को चुनौती देने के कारण इस जनजाति के कई शासक शहीद भी हुए थे।कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती रीना गुजराल और वरिष्ठ समाज सेविका श्रीमती चित्राताई ढोक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के सचिव प्रो. हरि भटनागर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।इस अवसर पर “शहीद शंकर शाह स्मृति चित्रकला प्रतियोगिता” का पुरस्कार वितरण भी किया गया। सन् 1996 में रा.स्व. संघ के तत्कालीन सरसंघचालक पूज्य रज्जू भैया ने इन दोनों वीर पिता-पुत्र के बलिदान स्थल पर एक भित्ति स्तम्भ की स्थापना की थी। वर्तमान में यह स्थल गोंड बंधुओं के लिए श्रद्धा का प्रमुख स्थान बन गया है।-चौधुरी शिवव्रत महान्ति24
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