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द मुरारिलाल शर्माधन्य-धन्य तव जीवनदान,सेतु-हिमाचल युगों-युगों तकध्वनित करेंगे तेरा गान।कल तक तव प्रिय पार्थिव प्रतिमाधर्मचक्षुओं से गोचर थी,शब्द तुम्हारे श्रुतिगोचर थे,अंग-मालिका त्वग्गोचर थी;कहो देव! क्यों अलख आज हो?कौन दिशा में अन्तध्र्यान?धन्य-धन्य तव जीवनदान।कैसे हमको दिशाबोध हो?कैसे हो शुभ सत्य प्रकाश?उद्बोधन का शंख फूंक फिरकौन भरे धरती-आकाश?मोहग्रसित अर्जुन के माधव!किस विराट का अनुसन्धान?धन्य-धन्य तव जीवनदान।कहां करें अन्वेषण तेराकहां करें अन्वेषण, तात?मूक तपस्वी! किस समाधि मेंसमा गए तज न·श्वर गात?मातभूमि के रजकण में तुमएकरूप तुम एकतान;धन्य-धन्य तव जीवनदान।29
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