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द वचनेश त्रिपाठीपूछ मत वे कौन थेजो चढ़ गये परवान परपूछ मत उनका पताजो सो गये सीवान परपूछ मत उनकी कथाजो दे गये बलिदान हैंपूछ मत उनकी व्यथाजिन पर हमें अभिमान है।चार दिन की जिन्दगी यहएक दिन मरना सभी कोदे सके जो देश को कुछराह वह चलना सभी को।जल रहा कश्मीर तोफिर देश क्यों गूंगा रहे!शोक में डूबा अकेलेआज क्यों डोडा रहे!पांच नदियों की कसमतुझको अरे ओ नौजवां!सिख-गुरुओं की कसमतुझको अरे ओ पासबां!बना पाकिस्तान तोवे जख्म रिसते आज भीलश्करे-तोएबा सेजाहिर उनके रिश्ते आज भी।रंग लाएगा किसी दिनउन शहीदों का लहूपुछ गये सिंदूर कितनेबन गईं विधवा बहू।जान देकर भी उन्होंनेदेश की है आन रखीमरते-मरते भी उन्होंनेवेश की पहचान रखी।जिन्दगी देकर उन्होंनेबन्दगी की बान रखीअलग कब कश्मीर हैइस सत्यता की शान रखी।दफन होंगे कातिलों केकाफिले बे-कफन होंगे।दफन होंगी कत्ल-गाहेंक्या हुआ, गर हम न होंगे।।33
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