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कही-अनकही

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Jun 10, 2002, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Jun 2002 00:00:00

आतंकवाद और अचारद दीनानाथ मिश्रयह कोई 17 साल पहले की बात है। मैं तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ तब के यूगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड गया था। गुटनिरपेक्ष देशों का तत्कालीन सम्मेलन था। प्रधानमंत्री के विमान में होने के कारण सामान के मामले में तकलीफ नहीं हुई। वहां होटल में स्थापित हो गया। कार्यक्रम में गया। लौटा तो कमरा खोलते ही चकित हो गया। मेरा सामान अस्त-व्यस्त था। पूछताछ की। मालूम पड़ा कि पुलिस के साथ खोजी कुत्ता सूंघते-सूंघते मेरे सामान तक आ गया। उन्हें मेरे सामान में से नशीली दवा मिली भी। वह पूछताछ करने ही वाले थे। असल में जो मिला था, वह गुटका था। उन्होंने गुटका कभी देखा ही नहीं था। बेलग्रेड में पान तो मिलेगा नहीं, यह सोच कर मैं गुटका ले गया था। लम्बी पूछताछ के बाद भी मैं उनके शक को पूरी तरह निर्मूल साबित नहीं कर सका।आजकल हवाई यात्रा की सख्तियां बहुत बढ़ गई हैं।आतंकवाद के कारण अक्सर मुंह का जायका खराब हो जाता है। हवाई यात्रा के साथ न ले जाने वाली वर्जित वस्तुओं की सूची में बहुत सारी अन्य चीजों के अलावा अचार भी है। मैं बाजार में बिकने वाले डिब्बाबंद अचार की बात नहीं कर रहा हूं। उसे देखकर तो मुझे छींक आती है। किसी में नमक कम तो किसी में मसाला ज्यादा, किसी में तेल ऐसा कि खाने का स्वाद बिगड़ जाए। अचार की उम्र बढ़ाने के लिए वे रसायन मिलाते हैं। उम्र तो बढ़ जाती है, मगर स्वाद घट जाता है। मैं उस अचार की बात कर रहा हूं जो घर में बड़े प्रेम से बनाया जाता है, जिसे देखते ही लार टपकने लगती है, जिसकी खुशबू से भूख बढ़ जाती है, जिसके चाटने से चटखारे लेने की इच्छा हो जाती है। मालूम नहीं हवाई सुरक्षा वालों को अचार में आतंकवाद की बू कहां से आ गई सो उसे भी वर्जित सूची में रख दिया। सामान के साथ उसे रखने का भी खतरा है। तेल रिस जाए, दूसरे सामानों का कबाड़ा हो सो अलग। हाथ में ले जाने पर सख्त पाबन्दी लग गई है।उनको आशंका है कि आतंकवादी अचार के तेल में आर.डी.एक्स. मिलाकर ले जा सकते हैं और हवाई यात्रा को असुरक्षित बना सकते हैं। अब आप अचार के तोहफे के साथ खुशी नहीं बांट सकते। आतंकवाद के कारण मालूम नहीं अचार के अलावा और किस-किस चीज पर आफत आएगी।अभी हाल में एक यात्रा के दौरान मेरे सामान की जांच-पड़ताल हो रही थी। आखिरकार पुलिस को एक आपत्तिजनक चीज नजर आ ही गई। ईसबगोल की भुसी। इसे मैं हर रात लेता हूं ताकि सुबह पेट साफ हो, मेरे लिए यह अनिवार्य दवा है। मगर उस पुलिसकर्मी की ईसबगोल की भुसी से कभी मुलाकात नहीं हुई थी। मुझे लग रहा था कि पुलिस कहीं इसे आर.डी.एक्स. जैसी कोई करामाती चीज तो नहीं समझ रही। मैंने उन्हें समझाने की जबरदस्त कोशिश की। यह भी प्रस्ताव दिया कि कहें तो कोकाकोला के साथ इस भुसी को मिलाकर पी जाऊं। मगर वे नहीं माने। मैं तो हवाई जहाज की यात्रा कर सका। मगर मेरी बेचारी ईसबगोल की भुसी मेरे साथ यात्रा करने के लायक नहीं पाई गई। मुझे बंगलोर तीन दिन ठहरना था। यह भुसी किसी वर्जित सूची में नहीं है। लेकिन फिर भी साथ में आने-जाने के लायक नहीं पाई गई। न जाने उस भुसी का क्या हुआ? जब्त होने के बाद उस पर क्या गुजरी?हवाई अड्डों पर यात्रियों और यात्रियों के सामान की कितनी बार जांच होगी, इसके बारे में अब तक मुझे कोई नियम समझ में नहीं आया। एक बार दिल्ली हवाई अड्डे पर मेरा एयर बैग तीन जगह खोला गया। मशीन की तपास करने के बाद, बोर्डिंग के समय और हवाई जहाज पर सवार होने के पहले। इतनी घनघोर तलाशी के बाद भी पिछले दिनों मुम्बई की एक उड़ान में एक आदमी मय हथियार के दाखिल हो गया।4

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