|
द लक्ष्मी शंकर वाजपेयीदाग लेकर कई, जिन्दगी में,लोग घूमा किए रोशनी मेंजिसके जल से बसी पूरी बस्तीमौत घोली गई उस नदी मेंबदलीं तकनीकें, बदलीं मशीनेंबदलेगा आदमी किस सदी मेंतोड़ देंगी किनारों को शायदऐसे उठती हैं लहरें नदी मेंचांद में दाग होते हुए भीदाग होता नहीं चांदनी में।।29
टिप्पणियाँ