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द डा. राकेश अग्रवालये शब्द ही तो हैंकुछ तोड़ देते हैंकुछ जोड़ देते हैंशब्द जो हम कहते हैंशब्द जो आप कहते हैंरस में पगे भी हैंविष में बुझे भी हैंये शब्द ही तो हैंकुछ दर्द देते हैंकुछ दवा देते हैं,ये शब्द ही तो हैंकुछ तोड़ देते हैंकुछ जोड़ देते हैंशब्द होंठों से निकलतीर जैसे गर लगेंशब्द अपनों कोपराया हैं बनातेशब्द को बोलें अगरहम तोलकरशब्द गैरों कोभी अपना हैं बनातेये शब्द ही तो हैंकुछ अश्क देते हैंकुछ खुशी देते हैं।ये शब्द ही तो हैंकुछ तोड़ देते हैंकुछ जोड़ देते हैंशब्द तीखे दोस्तों केदुश्मनी को हैं बढ़ातेशब्द मीठे दुश्मनों केदोस्ती का रंग लातेये शब्द ही तो हैंकुछ वफा देते हैंकुछ दगा देते हैंसत्य, शिव, सुन्दर अगर होंशब्द जादू-सा करेंशब्द बनकर मंत्र जग मेंपाप, पीड़ा को हरेंये शब्द ही तो हैंकुछ त्राण देते हैंकुछ प्राण देते हैंये शब्द ही तो हैंकुछ तोड़ देते हैंकुछ जोड़ देते हैं।26
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