नई दिल्ली । 22 अक्टूबर 2024 को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का परिसर दीपावली के उत्सव के लिए सजाया गया था। रंगोली की सुंदर सजावट और दीपों की रोशनी में डूबा यह कार्यक्रम ‘ज्योतिरमय 2024’ नाम से आयोजित किया गया था, जिसमें संगीत, रंगोली प्रतियोगिता और हजारों दीपक जलाने की योजना थी।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कला मंच और छात्र संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था, लेकिन कार्यक्रम के बीच अचानक माहौल बदल गया जब कुछ मुस्लिम छात्रों ने दीपावली उत्सव का विरोध करना शुरू कर दिया। विरोध के दौरान ‘नारा-ए-तकबीर’ और ‘फिलिस्तीन जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए, जिसने कार्यक्रम की शांतिपूर्ण प्रकृति को भंग कर दिया।
विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने दीपावली उत्सव का विरोध करते हुए फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी की। इन नारों ने न केवल आयोजकों बल्कि उपस्थित लोगों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। कुछ ही समय में देखते ही देखते मजहबी उन्मादियों ने सुन्दर से उत्सव को तहस-नहस कर दिया, जिसके बाद विश्वविद्यालय परिसर में तनाव पैदा हो गया है।
मुस्लिम छात्रों ने बर्बाद किया “हिंदू पर्व”
जमकर लगाए-
अल्लाहु अकबर और फिलिस्तीन जिंदाबाद के नारे
जामिया मिलिया इस्लामिया कैंपस में हिंदू छात्रों के ‘ज्योतिर्गमय 2024’ उत्सव का इस्लामिक छात्रों ने बर्बाद किया
दीपावली महोत्सव के तहत आयोजित था कार्यक्रम pic.twitter.com/tn4LsTNetm
— Baat Bharat Ki (@eBBKLive) October 22, 2024
सोशल मीडिया चला विक्टम कार्ड
इस घटना के बाद इस्लामिक उन्मादियों के एक समूहों ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में तनावपूर्ण माहौल का दावा करते हुए कई पोस्ट्स कर घटना का जिम्मेदार हिन्दू छात्रों को ही बताया और आरोप लगाया गया कि “कार्यक्रम के दौरान हिंदू छात्रों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए जिससे विवाद बढ़ गया”। वैसे यहां बता दें कि दीपावली का उत्सव ही भगवान राम के 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में ही मनाया जाता है।
हर बार हिन्दू त्याहारों पर ही उत्पात मचाते है उन्मादी
वैसे यह पहली बार नहीं है जब जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदू त्योहारों का विरोध हुआ है। मार्च 2023 में भी छात्रों ने होली उत्सव के दौरान विरोध प्रदर्शन किया था। उस समय ‘रंगोत्सव’ नामक इस आयोजन का उद्देश्य होली मनाना था, लेकिन तब भी मजहबी उन्माद से भरे मुस्लिम छात्रों ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हुए विरोध किया।
यूनिवर्सिटी में खुलकर होता है आतंकी संगठन का समर्थन
यह भी उल्लेखनीय है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा पहले भी फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी और प्रदर्शनों की खबरें आती रही हैं। अक्टूबर 2023 में, एक छात्र समूह ने ‘हमास’ का समर्थन करने वाले बिल्ले पहने थे, जिसे कई देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। इसी समय, फिलिस्तीन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस पर भी रैली निकाली गई थी, जिसमें #FreePalestine और #DownWithIsrael जैसे हैशटैग का भी इस्तेमाल हुआ था।
खतरनाक होती जा रही है हिंदू त्योहारों के विरोध की प्रवृत्ति
हिंदू त्योहारों के विरोध की यह प्रवृत्ति लगातार खतरनाक होती जा रही है जो कि अब तेजी से फैलती जा रही है, जिस वजह से हिंदू त्योहारों का विरोध और त्योहारों के लिए आयोजित होने वाले उत्सवों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। हाल के वर्षों में, राम नवमी, हनुमान जयंती और सरस्वती पूजा जैसे धार्मिक आयोजनों पर भी विरोध देखा गया है। इन विरोध प्रदर्शनों में पत्थरबाजी, आगजनी और हिंसा की घटनाएं भी शामिल रही हैं। यह बढ़ती हिंसा न केवल सड़कों तक सीमित है, बल्कि अब शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में भी अपना पैर पसार चुकी है, जो कि चिंताजनक है।
जामिया मिलिया इस्लामिया में दीपावली उत्सव के दौरान उत्पन्न हुए इस विवाद ने एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को कैसे सम्मान दिया जाए। फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी और इस्लामिक नारों से इस घटना ने एक गहरे विभाजन की ओर इशारा किया है, जो आने वाले समय में और भी विवादों का कारण बन सकता है।
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