यदि इस प्रक्रिया को जारी रहने दिया गया तो एक दिन इस देश की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी और ऐसे पांथिक समागमों को तुरंत रोका जाना चाहिए, जहां भारत के नागरिकों का कन्वर्जन हो रहा हो।
यह तल्ख टिप्पणी की है इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायूमर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने। 2 जुलाई को वे कन्वर्जन के एक आरोपी कैलाश की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। कैलाश के विरुद्ध 2023 में हमीरपुर जनपद के मौदहा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 365 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5 (1) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था।
रामकली प्रजापति द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया है कि उसके भाई रामफल को कैलाश दिल्ली में आयोजित एक समारोह में ले गया था। उसने रामकली से कहा था कि मानसिक रोग से बीमार उसके भाई का इलाज किया जाएगा और एक सप्ताह में वह गांव वापस आ जाएगा। उसके साथ गांव के कई अन्य लोगों को भी समारोह में ले जाया गया था। सप्ताह बाद भी रामफल के वापस न आने पर रामकली ने कैलाश से अपने भाई के बारे में पूछा तो उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद रामकली ने पुलिस से संपर्क किया।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि शिकायतकर्ता के आरोप गंभीर हैं, जिसमें उसके भाई व गांव के अन्य लोगों को समागम में शामिल होने के लिए दिल्ली ले जाकर उनका कन्वर्जन करा दिया गया। आगे कहा कि यदि इस प्रक्रिया को जारी रहने दिया गया तो एक दिन बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी। इसी प्रकरण में न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गैर-कानूनी ढंग से बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति सहित आर्थिक रूप से गरीब लोगों को ईसाई बनाने के मामले संज्ञान में आए हैं।
सच में आज प्रदेश के तमाम जिलों में यीशु दरबार, चंगाई सभा, प्रार्थना सभा के नाम पर हिंदुओं को एकत्र करके ईसाई बनाने का खेल किसी से छिपा नहीं है। प्रयागराज जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर पचदेवरा गांव में रामसेवक सरोज 15-16 वर्ष से यीशु दरबार चला रहा है। चंद माह पहले तक इस यीशु दरबार में केवल रविवार को 10 से 15 हजार की भीड़ जुट रही थी। रामसेवक सबको भरोसा देता है कि उनकी जटिल बीमारी, भूत-प्रेत, बाधा अथवा अन्य पारिवारिक समस्याएं यीशु दरबार में आने से ठीक हो जाएंगी। दरबार में सफेद दाग, मिर्गी, कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का इलाज और ठीक होने के दावे यीशु की प्रार्थना तथा लहू और मांस के पानी से करने की बात कही जाती है। अंधविश्वास में आकंठ डूबे अधिकांश लोगों को बाइबिल, पादरी और वहां मिलने वाले प्रसाद पर पूरा भरोसा है। ऐसे लोग साफ कहते हैं कि हम बाइबिल सुनते ही ठीक हो जाते हैं।
रामसेवक का यीशु दरबार
प्रयागराज जिले के पंचदेवरा गांव में रामसेवक सरोज 15-16 वर्ष से यीशु दरबार लगाता है। सामाजिक कार्यकर्ता संजीव मिश्रा ने उस पर आरोप लगाया है कि वह हिंदुओं को ईसाई बनाने में लगा है। सूत्रों का कहना है कि आज से 15 वर्ष पूर्व वह एक साधारण व्यक्ति होता था, लेकिन आज वह करोड़ों रु. का मालिक है। लग्जरी गाड़ी से चलता है। जो उसका विरोध करता है, उस पर हमले करवाता है। संजीव मिश्रा पर हमले के कारण ही उसे जेल जाना पड़ा था।
बढ़ता दायरा
पचदेवरा में चलने वाले यीशु दरबार में प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, रायबरेली, सुल्तानपुर, उन्नाव, कानपुर आदि जिलों से लोग आते हैं। यीशु दरबार अब प्रयागराज और प्रतापगढ़ के लगभग दर्जन भर से अधिक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से चल रहा है। इसके अतिरिक्त अनगिनत लोगों के निजी आवास पर भी यह कार्यक्रम चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि यीशु दरबार की संख्या में यह बढ़ोतरी पिछले 4 से 6 वर्ष में हुई है। यीशु कल्याण सेवा आश्रम या ऐसे मिलते-जुलते आकर्षक नाम पर आज प्रयागराज के रैया, बिगहिया, मऊआइमा, बेलहा, सम्हई, मनकापुर, कौडीहार तथा प्रतापगढ़ में छिऊंगा बिहार, बिसहियां कुंडा, सगरा सुंदरपुर, पंडित का पूरा, रायपुर सिसई, लालगंज अझारा, घुइसरननाथ, बदगवां आजादनगर, बाबागंज तथा रुमतीपुर राय, असकरनपुर आदि स्थानों पर चल रहे हैं। इतना ही नहीं, पचदेवरा का केंद्र, जो पहले रविवार को चला करता था बाद में सप्ताह में तीन दिन गुरुवार, शुक्रवार और रविवार को चलने लगा है।
आज प्रदेश में रामसेवक जैसे तथाकथित अनेक पादरी फतेहपुर, कौशांबी, कानपुर, कानपुर देहात, जौनपुर जैसे शहरों से इतर नेपाल सीमा के जनपद श्रावस्ती, लखीमपुर, महराजगंज, गोरखपुर के गांवों, कस्बों और शहरों की पिछड़ी बस्तियों में लोगों को तमाम प्रकार के प्रलोभन देकर ईसाई बना रहे हैं। दरबार में जाने वाले लोग अपने मतांतरण से इनकार करते हैं, लेकिन उनकी शब्दावली (यीशु गॉड) हैं, वह हम लोगों के लिए सूली पर चढ़ गए अथवा वहां आने से हमारी समस्या ठीक हो गई है (अब हम पूरी तरह से चंगाई हैं) से पता चलता है कि कितना कुछ बदल गया है। ईसाई समुदाय के समागमों में जाने वालों को भरोसा दिलाया जाता है कि बाइबिल के पढ़ने से यीशु आपके शरीर में प्रवेश करते हैं, जिस कारण सारी पैशाचिक शक्तियां (भूत-प्रेत) और तमाम बीमारियां आपके शरीर से बाहर निकल जाती हैं।
सनातन धर्म से दूरी
ईसाई समागमों में लोगों से कहा जाता है कि आप भगवान और मंदिरों को छोड़कर यीशु की शरण में आओगे तभी आपका कल्याण होगा। घरों से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बाहर करिए,उन मूर्तियों की पूजा नहीं करनी है, किसी भी हिंदू देवी-देवता को चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाना है। यदि आपने प्रसाद खाया तो आपका नुकसान हो जाएगा। अंधविश्वास में डूबे हिंदू पादरी के उपदेशों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं। अब समाज की दलित बस्तियों में इसका असर साफ दिखाई पड़ने लगा है। धार्मिक आयोजन के प्रसाद को खाने से साफ मना कर दिया जाता है।
अधिकांश लोग कह देते हैं कि हमको प्रसाद खाना मना है। अब तमाम गांवों में पादरी के प्रतिनिधि नियुक्त हो गए हैं, जो दरबार से जुड़े लोगों पर कोई संकट आने पर उसके घर जाकर प्रार्थना करते हैं, बाइबिल पढ़ते हैं। एक प्रकार से कहा जा सकता है कि यीशु दरबार में जाने वाले अधिकांश लोग अब अपने सनातन धर्म से किनारा कर रहे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि यीशु दरबार में जाने वालों के घरों में अब भगवान राम, लक्ष्मण, सीता, शंकर-पार्वती या फिर बजरंग बली की मूर्तियां दिखाई नहीं देती हैं। ईसाई समागमों में सनातन धर्म के प्रति घृणा का भाव भरा जाता है, ताकि लोग हिंदू धर्म से दूरी बना कर रहें। इसके साथ ही यीशु को सबसे ताकतवर और हिंदू देवी-देवताओं को बलहीन करार दिया जाता है। यह भी कहा जाता है कि सफल जीवन और सुखद जीवन केवल ईसाई मत में ही संभव है, जहां आपको सब कुछ मुफ्त में मिलता है।
अवैध गतिविधियों में लिप्त अधिकांश पादरी या संस्थाएं आर्थिक रूप से बहुत ही सुदृढ़ हैं। वे विरोधियों से हर तरह से निपटने में सक्षम हैं। इसलिए पहले तो कोई विरोध नहीं करता है और यदि किया तो उसे चुप करा दिया जाता है। यीशु दरबार की लगातार शिकायत करने वाले समाजसेवी संजीव मिश्रा पर पादरी रामसेवक ने दिसंबर, 23 में जानलेवा हमले कर दिया था। इसी मामले में रामसेवक जेल भी गया था। कुछ दिन पहले ही वह जेल से बाहर आया है।
फतेहपुर में कन्वर्जन की जांच में सामने आया कि इस कुचक्र में प्रयागराज के नैनी स्थित सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर, टेक्नालाजी एंड साइंसेज (शुआटस) डीम्ड विश्वविद्यालय के चांसलर और अन्य बड़े पदाधिकारी शामिल हैं। पुलिस को उनकी गिरफ्तारी के लिए सर्वोच्च न्यायालय तक जाना पड़ा।
यद्यपि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 लागू होने से कन्वर्जन के कार्यों में लिप्त लोगों के विरुद्ध कार्रवाई हो रही है। फतेहपुर जनपद में 14 अप्रैल, 2022 को 90 से अधिक हिंदुओं का कन्वर्जन कराने के आरोप में 55 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए। फरवरी, 2023 में जौनपुर के मुरादपुर कोटिला गांव में 16, अक्तूबर, 2023 में कौशांबी में 9 आरोपियों को जेल भेजा गया। कानपुर में बीते मार्च में 100 से अधिक लोगों को कन्वर्जन हेतु उन्नाव के एक चर्च में ले जाया जा रहा था, लेकिन पुलिस को सूचना मिल जाने से दो आरोपी पकड़े गए। 2023 में कानपुर में कन्वर्जन में छह से अधिक मामले सामने आए थे।
उम्मीद है कि उच्च न्यायालय की उपरोक्त टिप्पणी से लोग सजग होंगे और ईसाइयों के चंगुल में नहीं फंसेंगे।
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