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होम भारत

‘ममता’ की छांह में माफिया शाहजहां

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख शाहजहां और उसके गुर्गे हिंदू महिलाओं के साथ करते थे दुष्कर्म। इन लोगों ने इनकी जमीन पर भी किया कब्जा। अब ममता सरकार कर रही हिन्दुओं को ही प्रताड़ित

by रास बिहारी
Feb 20, 2024, 05:20 pm IST
in भारत, विश्लेषण, पश्चिम बंगाल
संदेशखाली में प्रदर्शन करतीं महिलाएं

संदेशखाली में प्रदर्शन करतीं महिलाएं

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5 जनवरी को छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर जानलेवा हमला हुआ था। ईडी ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और माफिया शेख शाहजहां के घर छापा मारा था। वह 20 हजार करोड़ रु. के राशन घोटाले का सरगना है। ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए शेख शाहजहां फरार है, लेकिन विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि शाहजहां फरार नहीं है, उसे सरकार ने ही छुपा रखा है।

पश्चिम बंगाल में पिछले विधानसभा सत्र में भारी खून-खराबे के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी अंतिम जांच रपट में कहा था, ‘‘टैगोर की धरती बंगाल में ‘कानून का राज’ नहीं है, बल्कि यहां ‘शासक का कानून’ चल रहा है।’’ इसके बाद भी अभी तक पश्चिम बंगाल में कोई बदलाव नहीं आया है। अब तो वहां की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली से जो खबरें आ रही हैं, वे बहुत ही भयावह हैं।

रास बिहारी

यह वही स्थान है, जहां 5 जनवरी को छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर जानलेवा हमला हुआ था। ईडी ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और माफिया शेख शाहजहां के घर छापा मारा था। वह 20 हजार करोड़ रु. के राशन घोटाले का सरगना है। ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए शेख शाहजहां फरार है, लेकिन विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि शाहजहां फरार नहीं है, उसे सरकार ने ही छुपा रखा है।

लेकिन शाहजहां का अपराध उतना भर नहीं है। शाहजहां और उसके गुर्गों उत्तम सरदार, शिबू हाजरा की गिरफ्तारी को लेकर संदेशखाली की महिलाएं भी सड़कों पर हैं। उनका कहना है कि इन लोगों ने उनके साथ यौनाचार के साथ ही उनकी जमीन पर भी कब्जा कर लिया है। महिलाओं के इस आरोप से राज्य के राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंदा बोस और कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी हैरान हैं।

संदेशखाली में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए गत दिनों राज्यपाल बोस केरल के अपने कार्यक्रम को रद्द कर संदेशखाली पहुंचे। पीड़ित महिलाएं राज्यपाल के पैर पकड़कर न्याय की गुहार लगाने लगीं। महिलाओं ने राज्यपाल को शाहजहां और उसके गुर्गों के अत्याचारों की जानकारी दी। महिलाओं का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता घरों में जाकर यह देखते थे कि किसकी पत्नी सुंदर है, किसकी उम्र कम है। उनके पतियों को धमकाया जाता था कि तुम पति भले हो, पर तुम्हारा अपनी पत्नी पर कोई अधिकार नहीं है। रात को महिलाओं को घर से जबरन उठा लिया जाता था। महिलाओं को बदमाशों का मन भरने के बाद ही मुक्ति मिलती थी। अभी भी इतनी दहशत है कि राज्यपाल के सामने भी महिलाएं मुंह ढककर अपनी बात रख रही थीं। हालांकि राज्यपाल ने महिलाओं को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं क्रोधित और आक्रोशित हूं, लेकिन फिलहाल मैं अपना मुंह बंद रख रहा हूं।’’ इससे पहले उन्होंने शाहजहां के घर की तलाशी के दौरान ईडी पर हुए हमले की आलोचना की थी। वहीं कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली में बंदूक की नोंक पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जनजातियों की भूमि कब्जाने के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

 ‘‘पहले लोग पूछते थे कि शेख शाहजहां कौन है, लेकिन अब जानना चाहते हैं कि शेख शाहजहां कहां है?’’ -स्म़ृति ईरानी

शाहजहां को पश्चिम बंगाल सरकार में 10 वर्ष तक खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रहे ज्योतिप्रिय मल्लिक का खास आदमी माना जाता है। संदेशखाली की महिलाओं ने आरोप लगाए हैं कि लड़कियों को रात में तृणमूल कांग्रेस के कार्यालय में आने के लिए मजबूर किया जाता था। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी पश्चिम बंगाल सरकार से रपट मांगी है। पीड़ित महिलाओं का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता उन्हें रात 12 बजे बैठक करने के बहाने बुलाते थे। महिलाओं के न जाने पर घर के सदस्यों पर अत्याचार किया जाता था। महिलाओं ने साफ-साफ शेख शाहजहां, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार का नाम लिया है। आरोप है कि महिलाओं को बुलाने के लिए खुद शिबू हाजरा फोन करता था।

इन महिलाओं ने कहा है कि पुलिस वाले भी तृणमूल नेताओं के इशारे पर काम करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी शेख शाहजहां, शिबू और उत्तम की शिकायत पुलिस से की, तो उलटे उन्हें ही धमकाया गया। इतना ही नहीं, पुलिस वाले ही तृणमूल नेताओं का बुलावा लेकर रात में महिलाओं के घर पहुंच जाते थे। राष्ट्रीय महिला आयोग के सामने शिकायत दर्ज कराते समय भी महिलाओं में भारी दहशत व्याप्त थी। पीड़ित महिलाओं के दर्द को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों के सामने रखा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने हिंसाग्रस्त संदेशखाली की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस भेजकर जानकारी मांगी है।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया है कि संदेशखाली में तृणमूल नेता शेख शाहजहां और उसके समर्थकों ने महिलाओं के साथ अत्याचार किया और उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। स्म़ृति ईरानी ने यह भी कहा, ‘‘पहले लोग पूछते थे कि शेख शाहजहां कौन है, लेकिन अब जानना चाहते हैं कि शेख शाहजहां कहां है?’’

संदेशखाली में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस ने 9 फरवरी को धारा 144 लगा दी थी। पुलिस ने स्थिति सामान्य होने तक इलाके में इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई थी। लेकिन इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करने के बाद 13 फरवरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली में लागू धारा 144 को खारिज कर दिया। न्यायाधीश जय सेनगुप्त ने कहा कि राज्य सरकार पूरे संदेशखाली में धारा 144 लागू किए जाने के पक्ष में कोई ठोस वजह नहीं बता पाई। हालांकि उच्च न्यायालय ने यह छूट दी कि अगर सरकार चाहे तो प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर सकती है। इसके एक दिन बाद प्रशासन ने संदेशखाली के 19 अलग-अलग इलाकों में धारा 144 लागू करने की नई अधिसूचना जारी की।

 ‘‘टैगोर की धरती बंगाल में ‘कानून का राज’ नहीं है, बल्कि यहां ‘शासक का कानून’ चल रहा है।’’ इसके बाद भी अभी तक पश्चिम बंगाल में कोई बदलाव नहीं आया है। अब तो वहां की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली से जो खबरें आ रही हैं, वे बहुत ही भयावह हैं।
-कलकत्ता उच्च न्यायालय 

संदेशखाली का ओसामा बिन लादेन

शेख शाहजहां को ईडी के वकील ने ओसामा बिन लादेन जैसा बताया है। संदेशखाली में शाहजहां का ही कानून चलता है। कभी मजदूरी करने वाला 42 साल का शाहजहां आज संदेशखाली का ‘मालिक’ है। इससे पहले शाहजहां 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में चर्चा में आया था। तृणमूल कांग्रेस में आने के बाद उसका कारोबार बढ़ता गया। हमेशा हथियारबंद लोगों से घिरे रहने वाले शाहजहां ने 2023 में चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में बताया था कि उसके पास में 1.92 करोड़ रुपए और 17 वाहन हैं। उसने 2.39 करोड़ रु के गहने और 43 बीघा जमीन की भी जानकारी दी थी। सबसे पहले शाहजहां 2006 में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हुआ था। 2011 में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद तृणमूल कांग्रेस का सदस्य बना और जल्दी ही ज्योतिप्रिय मल्लिक का खास आदमी बन गया।

ऐसे में भाजपा का कहना है कि शाहजहां को राज्य सरकार ने ही छुपा रखा है। सवाल है कि संदेशखाली की महिलाओं को न्याय कैसे मिलेगा?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और बंगाल में राजनीतिक हिंसा पर कई तथ्यात्मक पुस्तकों के लेखक हैं)

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