पिछले चार दशक में छत्तीसगढ़ बस्तर ने केवल रक्त, अवरोध, हिंसा, रुदन और क्रंदन देखा था। लेकिन अब बस्तर की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल रही हैं। केंद्र व राज्य की डबल इंजन सरकार ने वे सारे मिथक तोड़ दिए हैं, जो बस्तर के विकास में बाधक बने हुए थे। नक्सलियों के सफाए के साथ ही लोगों को अब यह बात समझ में आने लगेगी कि देश के विकास का एक रास्ता बस्तर से होते हुए भी जाता है।
बस्तर का मतलब अब तक केवल नक्सली हिंसा था, लेकिन अब बस्तर से मिलने वाला लौह अयस्क, इस्पात, धातु प्रसंस्करण, कृषि, वनोपज, बॉक्साइट और मैंगनीज आधारित उद्योग और हर्बल-औषधीय उत्पाद इस क्षेत्र की महत्ता को रेखांकित करेंगे। बस्तर के औद्योगिक परिदृश्य को देखें तो वर्तमान में बस्तर संभाग में 690 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) इकाइयां संचालित हैं। बस्तर संभाग के 3 प्रमुख हिस्सों में चावल मिल, ईंट निर्माण और धातु निर्माण उद्योग शामिल हैं। एनएमडीसी माइनिंग, एनएमडीसी स्टील, एस्सार, ब्रज इस्पात और एएमएनएस इंडिया जैसी प्रमुख कंपनियां यहां स्थापित हैं। इस संभाग से लगभग 102 करोड़ रुपये का निर्यात होता है, जिसमें लौह अयस्क की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। राज्य सरकार ने बस्तर संभाग में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में विशेष प्रावधान किए हैं।
समन्वित सुरक्षा उपाय
विकासात्मक पहलों के साथ-साथ सरकार ने सुरक्षा के मोर्चे पर भी बहुत योजनाबद्ध, समन्वित और दृढ़ता के साथ कार्रवाई की है। जिन कारकों ने बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वे कुछ इस तरह हैं:
1.केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन। पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री ने स्वयं नेतृत्व करते हुए बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया।
2.केंद्रीय और राज्य बलों के बीच एकीकृत कमान संरचना के माध्यम से बेहतर समन्वय।
3.जिला रिजर्व ग्रुप ने गेम चेंजर की भूमिका निभाई। इसमें अधिकतर आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व नक्सली होते हैं, जिन्हें इलाके की गहरी जानकारी होती है और जिनके स्थानीय लोगों से संबंध होते हैं। इससे खुफिया जानकारी जुटाने और बेहतर रणनीति बनाने में बड़ी मदद मिली।
4.दूरदराज के इलाकों में सुरक्षा शिविरों की स्थापना और थानों का सुदृढ़ीकरण।
5.तकनीकी सहायता, विशेषकर ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग द्वारा निगरानी, जिससे घात लगाकर हमलों की घटनाएं काफी कम हो गईं।
नई औद्योगिक नीति
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं, ”नई औद्योगिक नीति के तहत बस्तर संभाग में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ खनिज आधारित, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन उद्योग की असीमित संभावनाओं को साकार करने का रोडमैप तैयार किया गया है। विकसित बस्तर की ओर बढ़ने के लिए औद्योगिक नीति 2024-30 के अनुसार बस्तर संभाग के विकास के लिए 32 में से 28 विकासखंडों को समूह 3 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, ताकि उद्योगों को अधिकतम प्रोत्साहन मिले। इस्पात उद्योग के लिए 15 वर्ष तक रॉयल्टी प्रतिपूर्ति का प्रबंध है।”
इतना ही नहीं, विकास की मुख्य धारा में बस्तर को जोड़ने के लिए नई औद्यौगिक नीति में आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने के लिए रोजगार सब्सिडी का प्रावधान है। अनुसूचित जाति/जनजाति और नक्सलवाद प्रभावित लोगों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान है। युवाओं के लिए प्रशिक्षण व्यय प्रतिपूर्ति तथा मार्जिन मनी सब्सिडी का प्रावधान है जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति और नक्सलवाद प्रभावित व्यक्तियों द्वारा स्थापित नए एमएसएमई के लिए 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी है।
सर्वश्रेष्ठ लौह खदानें हैं यहां
दक्षिण बस्तर की बैलाडिला पहाड़ियों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के लौह अयस्क हेमेटाइट आयरन की खदानें हैं। नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन बैलाडिला में वर्ष 1968 से माइनिंग कर रहा है। यहां इतना लौह अयस्क मौजूद है कि अभी कई दशकों तक यहां खनन किया जा सकता है। दंतेवाड़ा में ही बचेली-किरंदुल में एनएमडीसी के पास कुल 11 डिपॉजिट हैं, जिनमें कुल 1343.53 मिलियन टन आयरन ओर डिपॉजिट है। एनएमडीसी देश की सबसे बड़ी और दुनिया की छठवीं आयरन ओर उत्पादक कंपनी है। बैलाडीला देश ही नहीं, विश्व के सबसे बड़े लौह अयस्क भंडार क्षेत्रों की टॉप दस स्थानों की सूची में शामिल है। यहां छत्तीसगढ़ का 70 फीसदी लौह अयस्क जमा है। प्रदेश के दूसरे बड़े भंडार क्षेत्र रावघाट को भी मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा 80 फीसदी से अधिक पहुंच जाता है।
रावघाट क्षेत्र भी बस्तर में ही है। बस्तर संभाग के चार जिलों दंतेवाड़ा, कोंडागांव, कांकेर और नारायणपुर में कुल मिलाकर 2151 मिलियन टन लौह अयस्क मौजूद हैं। उत्तर बस्तर के भानुप्रतापपुर क्षेत्र में हाहालद्दी, आरीडोंगरी में भी लौह अयस्क भंडार हैं। रावघाट में सेल को 2028 हेक्टेयर क्षेत्र में माइनिंग लीज मिली है। वहां से भिलाई स्टील प्लांट के लिए अयस्क की आपूर्ति की जाएगी। बैलाडीला में अभी अकेले एनएमडीसी खनन कर रहा है। लेकिन अब निजी कंपनियों के भी बस्तर में खनन के द्वार खुल रहे हैं। इससे बस्तर देश के विकास में हिस्सेदारी रखने वाला एक प्रमुख क्षेत्र बन जाएगा।
बनेगा एआई पार्क
छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में इसी वर्ष मई में देश के पहले आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस आधारित डेटा सेंटर पार्क की नींव रखी गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गत 3 मई को नवा रायपुर के सेक्टर-22 में इसकी आधारशिला रखी। इस डेटा सेंटर पार्क को 13.5 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, जिसमें 2.7 हेक्टेयर हिस्सा विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसआजेड) के रूप में विकसित होगा। इस परियोजना के जरिए लगभग 500 प्रत्यक्ष और 1500 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर तैयार होंगे। रैक बैंक डेटा सेंटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित यह परियोजना पूरी तरह आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) सेवाओं को समर्पित होगी। पहले चरण में 5 मेगावाट क्षमता से शुरू होकर इसे 150 मेगावाट तक विस्तारित किया जाएगा। भविष्य में इस परियोजना में लगभग 2000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश संभावित है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इस डेटा सेंटर को हरित और ऊर्जा दक्ष तकनीक के अनुरूप डिजाइन किया गया है।
यहां स्टोरेज और प्रोसेसिंग की सुविधा के साथ आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस (एआई), हेल्थटेक, डिफेंस, फिनटेक और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक सेवाएं दी जाएंगी। पार्क में जीपीयू आधारित हाई-एंड कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिकॉर्डिंग, लाइव डेटा स्ट्रीमिंग और एआई प्रॉसेसिंग जैसी विश्व स्तरीय सुविधाएं होंगी। इस परियोजना के जरिए लगभग 500 प्रत्यक्ष और 1500 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर तैयार होंगे। इसमें स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि छत्तीसगढ़ के युवा अपनी प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ सकेंगे। इस सेंटर के जरिए जीपीयू आधारित हाई-एंड कंप्यूटिंग, लाइव डेटा स्ट्रीमिंग, एआई प्रोसेसिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी वैश्विक स्तर की सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी। इसका असर हेल्थटेक, फिनटेक, स्मार्ट एग्रीकल्चर और रक्षा क्षेत्र में बड़े बदलावों के रूप में दिखाई देगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस बारे में कहते हैं, ”यह सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य की नींव है। छत्तीसगढ़ अब डिजिटल भारत की धड़कन बनेगा। बस्तर के विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए भूमि बैंक प्रबंधन को मजबूत किया जा रहा है। वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प जैसे स्थानीय उद्योगों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना करके विशेष रूप से जनजातीय युवाओं और महिला उद्यमिता पर फोकस किया जा रहा है। इस्पात, धातु प्रसंस्करण, कृषि, वनोपज आधारित उद्योग और हर्बल-औषधीय उत्पादों के लिए क्लस्टर की स्थापना की जा रही है। ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।”
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी नई औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दरवाजे खोल दिए हैं। 50 करोड़ रुपए का स्थाई निवेश करने वाली कंपनियां सरकारी अनुदान व छूट की हकदार होंगी।
इन्हें आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज तैयार किया है। इससे छत्तीसगढ़ में विकास की गति तेजी होगी।
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