जगतपालक श्रीहरि विष्णु का ऐसा स्त्री अवतार जिसके सम्मोहन से कोई भी अछूता न रहा
May 21, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जगतपालक श्रीहरि विष्णु का ऐसा स्त्री अवतार जिसके सम्मोहन से कोई भी अछूता न रहा

सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि भगवान विष्णु का एकमात्र स्त्री रूप अवतार है मोहिनी अवतार। ऐसा मोहक स्वरूप कि उनके सम्मोहन की मोहिनी से देव-दानव कोई भी अछूता न रहा।

by पूनम नेगी
May 8, 2025, 12:09 pm IST
in भारत, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि भगवान विष्णु का एकमात्र स्त्री रूप अवतार है मोहिनी अवतार। ऐसा मोहक स्वरूप कि उनके सम्मोहन की मोहिनी से देव-दानव कोई भी अछूता न रहा। श्रीमदभागवत महापुराण के अनुसार जगत पालक ने यह मोहक स्त्री रूप धरती को दानवों के आतंक से मुक्त करने के लिए रचा धारण किया। समुद्र मंथन का रोचक पौराणिक वृतांत श्रीहरि के इस मोहिनी अवतार से जुड़ा है। इस पौराणिक कथानक के अनुसार देवताओं और दानवों द्वारा किये गये समुद्र मंथन के अंत में बैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन जब समुद्र से आचार्य धनवन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए तो उस अमृत कलश को देखने ही उसे पीकर अमर होने की लालसा में देव व दानव दोनों पक्ष आपस में भिड़ गये।

सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु भलीभांति जानते थे कि यदि दानवों ने अमृत पान कर लिया तो आसुरी शक्तियों के आतंक से पूरी धरती पर त्राहि-त्राहि मच जाएगी। इसलिए लोकमंगल के महान उद्देश्य से उन्होंने एक अत्यन्त मोहक स्त्री का रूप धारण कर वहां उपस्थित होकर छल से दानवों को मदिरा और उस देवताओं को अमृत को पिला किया; फलत: देवता अमर हो गये। तभी से वैशाख शुक्ल की उपरोक्त तिथि मोहिनी एकादशी के नाम से विख्यात हो गयी।

ज्ञात हो कि तंत्र विद्या के प्राचीन ग्रंथों में मोहिनी विद्या का विस्तार से वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि इस विद्या का प्रयोग त्राटक, मंत्र और यंत्र के द्वारा किया जाता है। इसके आरम्भिक सूत्र वेदों में मिलते हैं। भगवान कृष्ण को मोहिनी विद्या का सर्वाधिक शक्तिशाली प्रयोगकर्ता और पारंगत आचार्य माना जाता है। दुर्गा सप्तशती सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में मोहिनी विद्या का उल्लेख करते हुए कहा गया है, “मारणं, मोहनं, वश्यं, स्तम्भोच्चाटनादिकम्। पाठ मात्रेण संसिद्धयेत कुंजिका स्तोत्र मुत्तमम्।।”

रामायण में उल्लेख मिलता है कि वनवास काल में सीता माता की खोज करते समय भगवान श्रीराम ने भी मोहिनी एकादशी व्रत को किया था। पौराणिक उद्धरण बताते हैं कि वानरराज बालि को मोहिनी विद्या सिद्ध थी। इसी महाविद्या के कारण उसकी ओर देखते ही शत्रु का आधा शक्ति और बल स्वत: समाप्त हो जाता था। महाबलशाली रावण को उसने इसी मोहिनी विद्या के बल पर परास्त किया था। महाभारत में भी विवरण मिलता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर धर्मराज युधिष्ठिर ने मोहिनी एकादशी का व्रत किया था। मोहिनी एकादशी व्रत की महत्ता को उजागर करने वाला एक पौराणिक कथानक लोकजीवन में खासा लोकप्रिय है।

इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगरी में धनपाल नाम का नगर सेठ रहता था जो सदा पुण्यकर्मों में लगा रहता था। मगर उसके पांच पुत्रों में सबसे छोटा धृष्टबुद्धि गलत संगत में पड़ कर कुमार्गगामी हो गया था। एक दिन उसके पिता ने उसे नगर के चौराहे पर दिनदहाड़े नगर वधू के साथ घूमता देख नाराज होकर घर से निकाल दिया।

परिवार, बन्धु बान्धवों व इष्ट मित्रों द्वारा परित्याग कर देने से इधर उधर भटकते भटकते हुए एक दिन वह महातपस्वी महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पर जा पहुंचा और शोक के भार से पीड़ित होकर मुनिवर कौण्डिन्य के चरणों में गिर कर उनसे मुक्ति की राह दिखाने की प्रार्थना करने लगा। महर्षि ने दया दिखाते हुए उसे बैशाख मास के शुक्लपक्ष की मोहिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बतायी विधि से पूरी श्रद्धा से उक्त व्रत का अनुष्ठान किया और निष्पाप हो दिव्य देह धारण कर श्रीविष्णु धाम को प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि तभी से सनातन धर्म में मोहिनी एकादशी व्रत की परम्परा शुरू हो गयी।

हमारे धर्मशास्त्रों में मोहिनी एकादशी को विशेष पुण्यदायी बताते हुए कहा गया है कि इस व्रत को करने से जीव के लोभ व मोह के सारे बंधन कट जाते हैं, निंदित पापकर्मों का शमन हो जाता है और वह मोक्ष को प्राप्त करता है। वैष्णव धर्मावलम्बी इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के मोहनी स्वरूप की आराधना करते हैं। शास्त्र कहते हैं कि इस दिन जरूरतमंदों को भोजन-वस्त्रों का दान, ब्राह्मण को भोजन प्रसाद तथा गोमाता को गुड़-केला व हरा चारा खिलाने से भारी पुण्य फल प्राप्त होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी तिथि 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा।

Topics: मोहिनी एकादशी 2025मोहिनी एकादशी व्रत कथामोहिनी एकादशी महत्वभगवान विष्णु स्त्री रूपमोहिनी एकादशी पूजा विधिमोहिनी एकादशी का पौराणिक इतिहासMohini Ekadashi 2025
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नैनीताल में वित्त आयोग की बड़ी बैठक : पर्यटन और उद्योग संगठनों ने रखीं विकास संबंधी अहम मांगें

शहजाद

जासूस शहजाद ने रामपुर के युवाओं को भेजा था पाकिस्तान, बड़ा खुलासा

इन दो महिला शिक्षकों पर कलावा पहनने पर छात्रों की पिटाई करने का आरोप है

जनेऊ-कलावा पहनने पर 30 छात्रों की ईसाई शिक्षिकाओं ने की पिटाई

महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर

मानवता की रक्षा के लिए अपनाएं अहिल्यादेवी का आदर्श

बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार

Wang से मिलकर भी खाली हाथ रहे पाकिस्तानी विदेश मंत्री Dar, चीनी विदेश मंत्री ने दोहराया ‘आपस में बातचीत’ का फार्मूला

उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्रह्मोस मिसाइल का प्रतीक भेंट किया गया

‘ब्रह्मास्त्र’ है ब्रह्मोस

Operation sindoor

धर्म सेतु की पुनर्स्थापना: ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय चेतना का नया अध्याय

ऑपरेशन मीर जाफर

ऑपरेशन मीर जाफर: देश के भीतर छिपे गद्दारों पर बड़ा प्रहार

Jyoti Malhotra

ज्योति मल्होत्रा ने सब किया कबूल! कब, कहां, किससे मिली?

एशियाई शेर (फोटो क्रेडिट - गिर नेशनल पार्क)

गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या 891 हुई, आबादी के साथ क्षेत्र भी बढ़ा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies