दिनांक 21 से 23 मार्च तक बंगलुरू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना वर्ष 1925 में दशहरा के पावन पर्व पर हुई थी, और इस प्रकार संघ अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है एवं इस वर्ष दशहरा के शुभ अवसर पर ही अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण कर लेगा।
संघ की स्थापना विशेष रूप से भारतीय हिंदू समाज में राष्ट्रीयत्व का भाव जागृत करने एवं हिंदू समाज के बीच समरसता स्थापित करने के लक्ष्य को लेकर हुई थी। इन 100 वर्षों के अपने कार्यकाल में संघ ने हिंदू समाज को एकजुट करने में सफलता तो हासिल कर ही ली है साथ ही विशेष रूप से समाज की सज्जन शक्ति में राष्ट्रीयत्व का भाव पैदा करने में सफलता अर्जित की है। सज्जन शक्ति समाज की वह शक्ति है कि जिनकी बात समाज में गम्भीरता से सुनी जाती है एवं उस पर अमल करने का प्रयास भी होता है। संघ ने अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु शाखाओं की स्थापना की थी। इन शाखाओं में देश की युवा पीढ़ी में राष्ट्रीयत्व का भाव जगाकर ऐसे स्वयंसेवक तैयार किए जाते हैं जो समाज के बीच जाकर देश के आम नागरिकों में राष्ट्र भावना का संचार करते हैं एवं समाज के बीच समरसता का भाव पैदा करने का प्रयास करते हैं।
संघ द्वारा स्थापित की गई शाखाओं की कार्यपद्धति पर आज विश्व के अन्य कई देशों में शोध कार्य किए जाने के बारे में सोचा जा रहा है कि किस प्रकार संघ द्वारा स्थापित इन शाखाओं से निकला हुआ स्वयंसेवक समाज परिवर्तन में अपनी महती भूमिका निभाने में सफल हो रहा है और पिछले लगातार 100 वर्षों से इस पावन कार्य में संलग्न है। हाल ही में, दिनांक 14 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक (44 दिन) प्रयागराज में लगातार चले एवं सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए महाकुम्भ के मेले में पूरे विश्व से 66 करोड़ से अधिक हिंदू धर्मावलम्बियों ने पवित्र त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई।
इतनी भारी संख्या में हिंदू समाज कभी भी किसी महान धार्मिक आयोजन में शामिल नहीं हुआ होगा और संभवत: पूरे विश्व में कभी भी इस तरह का आयोजन सम्पन्न नहीं हुआ होगा। इस महाकुम्भ में समस्त हिंदू समाज एकजुट दिखाई दिया, न किसी की जाति, न किसी का मत, न किसी के पंथ का पता चला। बस केवल सनातनी हिंदू हैं, यही भावना समस्त श्रद्धालुओं में दिखाई दी। इसी का प्रयास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 100 वर्षों से करता आ रहा है।
संघ द्वारा आज न केवल भारतीय हिंदू समाज को एकता के सूत्र में पिरोए जाने का कार्य किया जा रहा है बल्कि पूरे विश्व में अन्य देशों में निवासरत भारतीय मूल के हिंदू समाज के नागरिकों को भी एक सूत्र में पिरोए जाने का प्रयास किया जा रहा है। यह कार्य संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संघ की शाखा में प्राप्त प्रशिक्षण के बाद सम्पन्न किया जाता है। संघ द्वारा संचालित शाखाओं की संख्या 14 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ वर्ष 2024 के 73,117 से बढ़कर वर्ष 2025 में 83,129 हो गई है। इन शाखाओं के लगने वाले स्थानों की संख्या भी वर्ष 2024 में 45,600 से बढ़कर 51,710 हो गई है।
विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने के उद्देश्य से विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए विद्यार्थी संयुक्त शाखाएं भी देश के विभिन्न भागों में लगाई जाती हैं। विद्यार्थी संयुक्त शाखाओं की संख्या 17 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ वर्ष 20224 में 28,409 से बढ़कर वर्ष 2025 में 33,129 हो गई हैं। इसी प्रकार महाविद्यालयीन छात्रों के लिए भी विशेष शाखाएं लगाई जाती हैं। महाविद्यालयीन (केवल तरुणों के लिए) शाखाओं की संख्या 10 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ वर्ष 2024 में 5,465 से बढ़कर वर्ष 2025 में 5,991 हो गई है। तरुण व्यवसायी शाखाओं की संख्या भी 14 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ वर्ष 2024 में 21,718 से बढ़कर वर्ष 2025 में 24,748 हो गई है, इस शाखाओं में विशेष रूप से तरुणों को शामिल किया जाता है।
प्रौढ़ व्यवसायी शाखाओं की संख्या 14 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ वर्ष 2024 में 8,241 से बढ़कर वर्ष 2025 में 9,397 हो गई है एवं बाल शाखाओं की संख्या भी वर्ष 2024 में 9,284 से बढ़कर वर्ष 2025 में 9,864 हो गई है। बाल शाखाओं में छोटी उम्र के बालकों को शामिल किया जाता है।
उक्त वर्णित शाखाओं के माध्यम से आज संघ का देश के कोने-कोने में विस्तार सम्भव हुआ है। संघ की दृष्टि से देश भर में कुल खंडों की संख्या 6,618 है। इनमें से शाखायुक्त खंडों की संख्या वर्ष 2024 में 5,868 थी जो वर्ष 2025 में बढ़कर 6,112 हो गई है। साथ ही, कुल 58,939 मंडलों में से 30,770 मंडलों में संघ की शाखा लगाई जा रही है। देश भर में महानगरों के अतिरिक्त कुल 2,556 नगर हैं। इन नगरों में से 2,476 नगरों में संघ की शाखा पहुंच गई है।
संघ द्वारा विभिन्न श्रेणियों यथा चिकित्सक, अधिवक्ता, शिक्षक, सेवा निवृत अधिकारी एवं कर्मचारी, पत्रकार, प्रोफेसर, युवा उद्यमी जैसी श्रेणीयों के लिए साप्ताहिक मिलन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। आज देश भर में 32,147 साप्ताहिक मिलन लगाए जा रहे हैं। साथ ही, संघ मंडलियों का गठन भी किया गया है और आज देश भर में 12,091 संघ मंडलियां भी नियमित रूप से लगाई जा रही हैं। भारत में संघ द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सेवा कार्यों को सम्पन्न करने की दृष्टि से 37,309 सेवा बस्तियां हैं। इनमें से 9,754 सेवा बस्तियां संघ की शाखा से युक्त हैं।
संघ के स्वयसेवकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से देश भर में प्राथमिक शिक्षा वर्ग भी लगाए जाते हैं। वर्ष 2023-24 में कुल 1,364 प्राथमिक शिक्षा वर्ग लगाए गए एवं इन प्राथमिक शिक्षा वर्गों में 31,070 शाखाओं के 106,883 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
वैश्विक पटल पर भी संघ का कार्य द्रुत गति पकड़ता दिखाई दे रहा है। विश्व के अन्य देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघ कार्य कर रहा है। आज विश्व के 53 देशों में 1,604 शाखाएं एवं 60 साप्ताहिक मिलन कार्यरत हैं। पिछले वर्ष 19 देशों में 64 संघ शिक्षा वर्ग लगाए गए। विश्व के 62 विभिन्न स्थानों पर संस्कार केंद्र भी कार्यरत हैं। जर्मनी से इस वर्ष 13 विस्तारक भी निकले हैं। हिंदू स्वयंसेवक संघ के माध्यम से भारत से नई उड़ान भर रहे युवाओं को जोड़ा जाता है ताकि एक तो विदेशों में इनकी कठिनाईयों को दूर किया जा सके तथा दूसरे इनमें सनातन संस्कृति के भाव को जागृत किया जा सके।
साथ ही, इन युवाओं के भारत में रह रहे बुजुर्ग माता पिता से भी सम्पर्क बनाया जाता है। संघ के स्वयंसेवक भारत में इनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास भी करते हैं। भारत में धार्मिक पर्यटन पर आने वाले भारतीय मूल के नागरिकों की सहायता भी संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए जाने का प्रयास किया जाता है तथा भारतीय मूल के नागरिक यदि भारत में वापिस आकर बसने के बारे में विचार करते हैं तो उन्हें भी इस सम्बंध में उचित सहायता उपलब्ध कराए जाने का प्रयास किया जाता है।
कुल मिलाकर आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू सनातन संस्कृति को भारत के जन जन के मानस में प्रवाहित करने का कार्य करने का प्रयास कर रहा है ताकि प्रत्येक भारतीय के मन में राष्ट्रीयता की भावना जागृत हो एवं उनके लिए भारत प्रथम प्राथमिकता बन सके। यह कार्य संघ की शाखाओं में प्रशिक्षित होने वाले स्वयसेवकों द्वारा समाज के बीच में जाकर करने का सफल प्रयास किया जा रहा है। और, यह कार्य आज पूरे विश्व में शांति स्थापित करने के लिए एक आवश्यक आवश्यकता भी बन गया है।
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