दिल्ली के सीलमपुर के ब्रह्मपुरी इलाके की गली नंबर-13 में अल-मतीन मस्जिद को लेकर हिंदुओं के दिल में डर है। यहाँ के लोग कहते हैं, “ये मस्जिद नहीं, हमारी जिंदगी पर कब्जे की साजिश है।” 2020 के हिंदू-विरोधी दंगों का जख्म अभी ताजा है, जब इसी मस्जिद से गोलियाँ चली थीं और हिंदुओं का जीना मुश्किल हो गया था। अब इसका विस्तार का मुद्दा उठा, लेकिन एमसीडी ने काम की अनुमति रद कर दी। वहीं गली नंबर-12 में अब इसका गेट भी नहीं खुलेगा। पुलिस ने मामले को शांत करा दिया है।
फ्लैट से मस्जिद की कहानी : चुपके से बिछाई साजिश की बिसात
ब्रह्मपुरी के पंडित राधेश्याम शर्मा (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि “2013 में एक फ्लैट से शुरू हुआ सब। मुस्लिम आए, नमाज पढ़ी, किसी ने कुछ नहीं कहा। लेकिन धीरे-धीरे वो फ्लैट चार मंजिल की मस्जिद बन गई।” उनका का दावा है कि ये सब सोचा-समझा था। पहले फ्लैट, फिर आसपास के घर खरीदे गए और मस्जिद बनाकर इलाके पर कब्जे की नींव रखी गई। भयभीत होते हुए उन्होंने कहा- “शुरू में सब ठीक था, लेकिन अब माहौल बदल गया है। हमें लगता है कि ये हमारी जिंदगी छीनने की तैयारी है” इतना कहते हुए उनकी आँखों में आंसू आ गए। उनके चेहरे पर भविष्य को लेकर चिंता साफ दिखाई दे रही थी, वे बहुत भयभीत थे।
गली नंबर-12 में रहने वाले पंकज (नाम बदला हुआ) कहते हैं कि, “हमारे सामने शिव मंदिर है, 1984 से हमारी आस्था का केंद्र। बातचीत के दौरान पंकज की आवाज में खौफ साफ झलक रहा था।
खौफनाक मंजर : 2020 दिल्ली दंगे में मस्जिद से चली गोलियाँ, टूटा भरोसा
2020 फरवरी के दिल्ली दंगे हिंदुओं के लिए एक बुरा सपना बन गए। स्थानीय निवासी मोहित (बदला हुआ नाम) ने 2020 के दिल्ली दंगों को याद करते हुए बताया कि “25 फरवरी को अल-मतीन मस्जिद से गोलियाँ चलीं। हजारों की भीड़ जमा हुई। झूठ फैलाया गया कि मस्जिद में आग लगा दी है, फिर हिंदुओं पर हमला हुआ।” उस दिन गली नंबर-13 में गोलीबारी में तीन हिंदू लड़के घायल हुए। दंगों में कई हिन्दू मारे गए। उस दिन समझ आया कि मस्जिद सिर्फ नमाज की जगह नहीं, यह उनकी ताकत का अड्डा है”।
मोहित ने बताया दंगों दिल्ली दंगे 2020 के बाद कई हिंदू परिवार डर की वजह से यहां से पलायन कर गए। गली नंबर-12 और 13 में अब ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर आम हैं। क्योंकि यहाँ अब हिन्दू आबादी कम है। भविष्य में अगर दोबारा 2020 फरवरी के दिल्ली दंगों जैसा हाल हुआ तो यहां की स्थिति भयावह हो जाएगी।
मस्जिद के विस्तार से बनी पलायन की स्थिति
2023 में मस्जिद वालों ने गली नंबर-12 में एक हिंदू का घर खरीदा, उसे तोड़ा और मस्जिद का हिस्सा बनाने की कोशिश शुरू की। नया गेट ठीक शिव मंदिर के सामने खोलने की योजना ने हिंदुओं के अंदर डर को बिठा दिया है। गली नंबर-12 के 60 हिंदू परिवारों में से 25-30 ने अपने घर को बेचने का फैसला कर लिया। उनका कहानी है कि “हमारे मंदिर के सामने मस्जिद का गेट है जिससे यहां टकराव की स्थिति बनी रहेगी.?. एक माँ अपनी बेटी को गले लगाते हुए कहती है कि मस्जिद बड़ी हुई तो यहां भीड़ बढ़ेगी और 2020 जैसा कुछ फिर हो सकता है। अगर ये (मस्जिद) दो गुना बड़ी हो गई, तो कितने लोग जमा होंगे..? ऐसे में हम हम कहाँ जाएँगे..?”
2018 का टूटा वादा
2018 में गली नंबर-8 की मस्जिद को लेकर भी तनाव हुआ था। स्थानीय निवासी भूरे लाल (बदला हुआ नाम) बताते हैं, “हमने विरोध किया। पुलिस ने समझौता कराया कि सिर्फ गली के लोग नमाज पढ़ेंगे। लेकिन मुस्लिमों ने वादा तोड़ा। बाहर से भीड़ बुलाई। जिसका नतीजा 2020 के दंगों में हमें देखने को मिला। अब अल-मतीन मस्जिद के साथ भी हमें वही डर सता रहा है”।
कौन सुनेगा हिंदुओं का दर्द..?
फरवरी 2025 में मस्जिद का निर्माण फिर शुरू हुआ, लेकिन पुलिस की शिकायत पर MCD ने रोक लगाई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि “MCD ने गलत नक्शा पास किया। अब बोर्ड लगाकर केवल दिखावा कर रही है।” उन्होंने सवाल किया कि “हमारी सुनवाई कौन करेगा..?”
वहीं इस बारे में मुस्लिम पक्ष के लोगों का कहना है कि, “हम कम्युनिटी सेंटर बना रहे थे। बिना बात के कुछ लोग इस मामले को तूल दे रहे हैं। यहां सभी शांति और सौहार्द से रहते हैं। वहीं इसको लेकर हिन्दुओं का कहना है कि पहले मस्जिद की बात थी, उन लोगों ने कहानी बदल दी है।
मस्जिद का विस्तार या हिंदुओं को भागने की तैयारी..?
दंगों के बाद से ब्रह्मपुरी में हिंदुओं का पलायन बढ़ गया। पहले यहाँ दोनों हिन्दू और मुस्लिम मिक्स होकर रहते थे, लेकिन अब ज्यादातर हिन्दुओं के घरों के बहार बिकाऊ है लिखा है, वहीं यहां के घरों को अधिकतर मुस्लिम खरीद रहे हैं। एक अन्य स्थानीय हिन्दू बुजुर्ग कहते हैं कि “पहले सब ठीक था, लेकिन दंगों के बाद डर बैठ गया। अब मस्जिद का विस्तार देखकर लगता है, यह हमें भगाने की तैयारी है”
सीलमपुर की ब्रह्मपुरी का ये विवाद मस्जिद से कहीं ज्यादा है। ये हिंदुओं के डर, टूटे भरोसे और पुराने जख्मों की कहानी है। 2020 के दंगों का खौफ, मस्जिद का बढ़ता साया और MCD का ढुलमुल रवैया। अब सवाल उठता है कि क्या ये सिर्फ एक मस्जिद का विस्तार है, या हिंदुओं को उजाड़ने की साजिश..? जवाब साफ नहीं, लेकिन ब्रह्मपुरी के हिंदुओं का दर्द हर गली में गूंज रहा है।
टिप्पणियाँ