ढाका । बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहम्मद मोइनुउद्दीन द्वारा पेश की गई याचिका पर सुनवाई के बाद लिया। याचिका में इस्कॉन पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और चटगांव में वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। अदालत ने बैन की याचिका को खारिज करते हुए सरकार को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
हिंदुओं दमन का दौर जारी
बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के बाद हालात तनावपूर्ण हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद के बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय द्वारा हमले लगातार तेज हो गए हैं। इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ एकजुट होकर सड़कों पर निकलती है और हिन्दू बस्तियों ने घुसकर उत्पात मचाती है। इस्लामिक उन्मादी हिन्दुओं को घर ने निकाल-निकाल कर ना सिर्फ मार रहे हैं बल्कि हिन्दू बस्तियों में आग भी लगा रहे हैं। वहीं इन सभी घटनाओं पर वहां कट्टर इस्लामिक सरकार ऑंखें मूंद कर अपना मौन समर्थन दे रही है। हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे इन अत्याचारों ने बांग्लादेश में मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस्कॉन पर लगे आरोप
याचिका में इस्कॉन पर आरोप लगाया गया था कि वह सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा दे रहा है और पारंपरिक हिंदू समुदायों पर अपनी मान्यताओं को थोप रहा है। बांग्लादेश सरकार ने कोर्ट में इस्कॉन को ‘कट्टरपंथी संगठन’ करार दिया। हालांकि, अदालत ने इन आरोपों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया और इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार कर दिया।
बांग्लादेश में नहीं थम रहा अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक लगातार बहुसंख्यक मुस्लिमों के अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। मंदिरों पर हमले, जबरन कन्वर्जन, और हिंसा की घटनाएं आम हो चुकी हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है और बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
इस्कॉन : एक वैश्विक संगठन
स्वामी प्रभुपाद द्वारा 1966 में न्यूयॉर्क में स्थापित इस्कॉन आज दुनिया भर में 1000 से अधिक मंदिरों के साथ सक्रिय है। भारत में इसके 400 से अधिक केंद्र हैं, जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित कई एशियाई देशों में भी इस्कॉन मंदिर स्थापित हैं। इस्कॉन इन्ही मंदिरों के चलते कई जगह समाजसेवा को राहत सेवा के कार्य भी करता रहता है।
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