बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार येन-केन प्रकारेण शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग से जुड़े हर इंसान को ठिकाने लगाने में जुटी हुई है। इसकी शुरुआत 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से शुरू हो गई। एक के बाद एक अलग-अलग मामलों में हसीना सरकार के मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी पर नरसंहार का आरोप लगाया गया है। गिरफ्तार किए गए 14 लोगों को आज अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में पेश किया जाएगा।
खास बात ये है कि जिन लोगों लोगों को मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली मुस्लिम कट्टरपंथी सरकार ने नरसंहार के मामले में जेल में रखा हुआ है, उनमें आवामी लीग सरकार के मंत्री, अफसर और जज भी शामिल हैं। कुल 14 लोगों में 10 पूर्व मंत्री/राज्य मंत्री, एक सेवानिवृत जज, दो सलाहकार और एक पूर्व सचिव शामिल है। इनकी पहचान दीपू मोनी, रशीद खान मेनन, अनीसुल हक, फारुख खान, अब्दुल रज्जाक, गुलाम दस्तगीर गाजी और हसनुल हक इनु पूर्व मंत्री हैं। पूर्व राज्य मंत्रियों में जुनैद अहमद पलक औऱ कमाल अहमद मजूमदार शामिल हैं।
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इन सबके अलावा नरसंहार का केस झेल रहे लोगों में सेवानिवृत जस्चिस एएचएम शमशुद्दीन चौधरी माणिक, पूर्व होम सेक्रेटरी जहांगीर आलम और पूर्व पीएम हसीना के सलाहकार तौफीक ए इलाही चौधरी और सलमान एफ रहमान शामिल हैं। बता दें कि ये 14 लोग पहले से जेल भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के साथ ही उनके चार सलाहकार समेत कुल 46 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी की वारंट जारी किया गया था। बहरहाल गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को आज आईसीटी के समक्ष पेश किया जाएगा।
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गौरतलब है कि बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त में कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। खास बात ये कि इस आंदोलन के बहाने मुस्लिम कट्टरपंथियों ने सबसे ज्यादा कहर हिन्दुओें पर बरपाया था।
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