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‘कल से मैं न्याय नहीं दे पाऊंगा’ : कार्यकाल के अंतिम दिन भावुक हुए CJI चंद्रचूड़, आंसू पोंछ कर मांगी माफी

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने न्याय की सेवा को बताया तीर्थयात्रा जैसा पवित्र कार्य बताया, जानिए CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल के ऐतिहासिक फैसले और उनका योगदान

by SHIVAM DIXIT
Nov 8, 2024, 06:44 pm IST
in भारत, दिल्ली
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नई दिल्ली । भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल भावनात्मक विदाई के साथ समाप्त हो गया। गुरुवार को अपने अंतिम कार्य दिवस पर, चंद्रचूड़ ने न्यायालय के मंच से देश की न्यायिक सेवा को ‘तीर्थयात्रा’ जैसा पवित्र कार्य बताया और कहा, “मैं कल से न्याय नहीं कर पाऊंगा, लेकिन मैं संतुष्ट हूं।” यह विदाई समारोह कई यादगार पलों और विचारशील भावनाओं से भरा हुआ था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी खास बना दिया।

भावुक हुए CJI, न्याय की सेवा को कहा तीर्थयात्रा

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों के कार्य को एक पवित्र तीर्थयात्रा की तरह बताया, जिसमें हर दिन न्यायालय में सेवा का संकल्प लिया जाता है। उन्होंने न्यायालय में अपने दो वर्षों के कार्यकाल की समाप्ति पर संतोष जताते हुए कहा कि वह अदालत को एक योग्य और सक्षम नेतृत्व के हवाले कर रहे हैं। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना की सराहना करते हुए विश्वास जताया कि न्यायालय का भविष्य उनके कुशल नेतृत्व में सुरक्षित रहेगा।

माफी मांगते हुए जैन कहावत का हवाला

भावुक CJI चंद्रचूड़ ने अपने भाषण में जैन धर्म की कहावत “मिच्छामी दुक्कड़म” का संदर्भ दिया, जिसका अर्थ है, “जो भी बुरा किया गया है, वह व्यर्थ हो जाए।” उन्होंने कहा, “अगर मैंने किसी को न्यायालय में ठेस पहुंचाई है, तो कृपया मुझे इसके लिए क्षमा करें।” यह उनके समर्पित और विनम्र स्वभाव का प्रतीक था, जिसने उनके कार्यकाल को खास बनाया।

कार्यकाल के ऐतिहासिक फैसले

CJI चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले दिए, जो भारतीय न्याय प्रणाली में मील का पत्थर साबित हुए:

अनुच्छेद 370 का निर्णय : उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की वैधता को बरकरार रखा। इस फैसले में न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में सितंबर 2024 तक चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया।

समलैंगिक विवाह पर निर्णय : जस्टिस चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शामिल करने से इंकार कर दिया, लेकिन LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों और उनके सम्मान पर जोर दिया। इस फैसले ने समाज में समावेशिता और समानता की बात की।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर पारदर्शिता की मांग : चंद्रचूड़ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की पारदर्शिता पर जोर देते हुए भारतीय स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने से रोक दिया। इस फैसले में उन्होंने पारदर्शिता की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया।

न्यायालय परिसर में किए सकारात्मक बदलाव

चंद्रचूड़ के कार्यकाल में न्यायालय परिसर में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए मिटी कैफे का उद्घाटन किया गया, और महिला वकीलों के लिए विशेष बार रूम की स्थापना की गई। ये बदलाव न्यायालय को अधिक समावेशी और संवेदनशील बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थे।

CJI के साथ उनके सहकर्मियों का अनुभव

जस्टिस संजीव खन्ना, जो अब नए CJI बनेगे, उन्होंने अपने संबोधन में जस्टिस चंद्रचूड़ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए जो किया है, वह बेमिसाल है। खन्ना ने मजाक में चंद्रचूड़ की “समोसे के प्रति रुचि” का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि हर बैठक में समोसे जरूर होते थे, हालांकि जस्टिस चंद्रचूड़ खुद उन्हें नहीं खाते थे, लेकिन उनकी उपस्थिति बैठक का एक अहम हिस्सा बन गई थी।

न्यायिक कार्यकाल का सारांश

CJI चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों को साझा करते हुए कहा कि न्यायाधीशों का कार्य कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन यह सेवा का एक विशेष रूप है। उन्होंने न्यायालय की स्क्रीन पर अकेले खुद को देखते रहने की आशंका व्यक्त की, लेकिन उनके इस विदाई कार्यक्रम में न्यायिक परिवार और सहकर्मियों का स्नेह देखकर उनके इस चिंता को भी दूर कर दिया।

उनके ऐतिहासिक फैसले और न्यायिक प्रणाली में किए गए बदलाव, आने वाले समय में उनके योगदान को हमेशा याद रखे जाएंगे। नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल भी उम्मीदों से भरा हुआ है और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह कैसे अपने पूर्ववर्ती की विरासत को आगे बढ़ाते हैं।

SHIVAM DIXIT

शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।

उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।

वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।

शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।

उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।

शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

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