बांग्लादेश में शेख हसीना या कहें कि शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत की सारी यादें मिटाई जा रही हैं। बांग्लादेश जिन्ना के असली वारिस की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। वहां से हैरान करने वाले और डराने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं, लेकिन जो महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, उनमें इस मुल्क की जिन्ना की विरासत की पहचान का सफर छिपा है।
पहली घटना है बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के महल को एक क्रांति म्यूजियम में बदला जाएगा। नए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (मोहम्मद यूनुस) ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि म्यूजियम में शेख हसीना के कुशासन की यादें और लोगों के गुस्से की यादों को संरक्षित किया जाएगा, जिन्होनें शेख हसीना को गद्दी से हटाया।
गानोभाबोन नाम से प्रसिद्ध इस भवन में शेख हसीना का निवास था। पिछले पंद्रह वर्षों से शेख हसीना की सरकार थी। उन पर तानाशाही का आरोप लगाया गया था और फिर कथित छात्र क्रांति ने 5 अगस्त को शेख हसीना को अपना मुल्क छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद यह देखा गया था कि कैसे भाषाई आधार पर अपने क्षेत्र को एक मुल्क की पहचान दिलाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमाओं को तोड़ा जाने लगा था। जबकि शेख मुजीबुर्रहमान भी उसी मुस्लिम लीग के नेता था, जिस मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी।
वर्ष 2024 में कथित छात्र क्रांति के सफल होने के बाद शेख हसीना पर निकलने वाला गुस्सा शेख मुजीबुर्रहमान पर निकला और देखते ही देखते उस पहचान से जुड़े हुए स्मारक तोड़ दिए गए। उस स्मारक को भी तोड़ दिया गया था, जिसमें पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश की महिलाओं पर किये गए अत्याचारों और भारतीय सेना की वीरता दिखाती हुई प्रतिमाएं बनी थीं। यह मुजीबनगर में शहीद मेमोरियल कॉम्प्लेक्स था, जिसमें तोड़-फोड़ की गई। यह मेमोरियल पीड़ाओं और यातनाओं से मुक्ति की याद दिलाता था। अब क्रांति की एक नई पहचान के साथ उन्हीं शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना के आवास रहे गानोभाबोन (गणभबन) को क्रांति म्यूजियम बनाया जा रहा है।
इस म्यूजियम में कुख्यात “हाउस ऑफ मिरर” अर्थात आईनाघर डिटेन्शन सेंटर की भी नकल बनाई जाएगी। यूनुस का कहना है कि आईनाघर आने वाले लोगों को गोपनीय कैदियों पर किये गए ज़ुल्मों के बारे में बताएगा। यह भी अजीब है कि एक क्रांति की यादें मिटाने के लिए दूसरी कथित क्रांति की यादों को बनाया जाएगा। मगर क्या इस क्रांति म्यूजियम में वह ऐतिहासिक तस्वीर भी होगी, जिसमें कथित क्रांतिकारी छात्र शेख हसीना के अंतर्वस्त्रों की नुमाइश कर रहे थे? जब कथित क्रांतिकारी छात्र शेख हसीना के अंतर्वस्त्रों को हाथ में पकड़कर लहरा रहे थे?
बांग्लादेशी पत्रकार महमुदूर रहमान ने इस्कॉन पर प्रतिबंध की मांग की
जहां एक तरह बांग्लादेश में एक जबरन क्रांति म्यूजियम बनाया जाने वाला है तो वहीं बांग्लादेश में अब कृष्ण भक्त संस्थान इस्कॉन को लेकर प्रतिबंध की मांग उठने लगी है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। उनके साथ हो रही हिंसक घटनाओं के वीडियो भी सामने आ रहे हैं। इस्कॉन लगातार इन घटनाओं का विरोध कर रहा है और इस्कॉन के साधु और भक्त भी इस हिंसा का शिकार हो रहे हैं। वे मुखर होकर हिन्दू समुदाय के साथ हो रही हिंसा का विरोध कर रहे हैं, लेकिन अब बांग्लादेश में पत्रकार जैसे लोग भी विरोध में सामने आ गए हैं। बांग्लादेश के प्रमुख समाचारपत्रों में से एक ‘अमर देश’ के संपादक महमूदुर रहमान इस बात से नाराज हैं कि आखिर क्यों इस्कॉन हिंदुओं पर हो रहे हमलों को उठा रहा है।
इस्कॉन के साधु इस संघर्ष को आगे लेकर जा रहे हैं और संत चिन्मय हिंदुओं के लिए बांग्लादेश में समान अधिकारों की और उनके धार्मिक अधिकारों के संरक्षण की मांग कर रहे हैं। इससे रहमान जैसे लोगों को गुस्सा आ गया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से देश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। रहमान का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। लोग इस मांग को लेकर भी गुस्से में हैं। वहीं संत चिन्मय पर देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया। बांग्लादेश में जो भी घटनाएं हो रही हैं, उनसे यह बात निश्चित है कि कथित छात्र आंदोलन शेख हसीना से नहीं, बल्कि शेख मुजीबुर्रहमान की पहचान से पीछा छुड़ाने का आंदोलन था।
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