रैवासा गांव का यह ऐसा संयुक्त परिवार है जिसका हर सदस्य शिक्षित है। परिवार में से सरकारी नौकरी में भी लोग हैं और परिवार द्वारा एक विद्यालय भी संचालित किया जाता है। इस परिवार के मुखिया है मोतीलाल कुमावत। वे 75 वर्ष के हैं। मोतीलाल जी और उनकी धर्मपत्नी प्रसन्नता और गर्व से बताते हैं, ‘‘उनके चारों बेटे- बहुओं, पौत्र-पौत्र वधुओं और पौत्री-परपौत्री को मिलाकर तीस (30) सदस्य मिल-जुलकर रहते हैं।’’
वे बताते हैं, ‘‘सबका भोजन एक ही रसोई में बनता है। हमारे परिवार की सारी बहुएं पढ़ी—लिखी हैं। सभी पूरी तरह ग्रामीण परिवेश के अनुसार ही रहते हैं। घर में सारी सुख सुविधाएं मौजूद हैं लेकिन खाना आज भी पारंपरिक तरीके से चूल्हे पर ही बनाया जाता है। आज तक परिवार में किसी कार्य को लेकर या अन्य किसी बात को लेकर कभी कोई मनभेद या विवाद नहीं हुआ।’’
विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोतीलाल कुमावत के पुत्र महेश बताते हैं, ‘‘परिवार के निर्णय सभी भाई मिलकर लेते हैं और पिताजी की सहमति से कार्य को सम्पन्न किया जाता है। हम सब एक दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखते हैं। सब अपनी अपनी क्षमता अनुसार परिवार के कार्यों में योगदान देते हैं। हम सब मिल जुलकर कार्य करते हैं, कम या अधिक का भाव मन में नहीं लाते।’’
सभी सदस्य15 कमरों के घर में रहते हैं। सुबह 6 बजे बहुएं मिलकर भोजन बनाती हैं। शाम का भोजन भी सात बजे से पहले ही तैयार हो जाता है। शाम को सभी सदस्य एकसाथ बैठकर भोजन करते हैं। मोतीलाल कुमावत के बड़े बेटे राधेश्याम ने बताया, ‘‘ चार गऊएं भी इसी परिवार की सदस्य हैं।’’
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