तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाले अपने बयान पर एक बार फिर से माफी मांगने से इनकार कर दिया है। उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि मैं ‘कलैगनार’ का पोता हूं। मैं माफी नहीं मांगूगा।
चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान ये बात कही। उन्होंने इसी दौरान सनातन धर्म को लेकर जहर उगला। डीएमके नेता ने कहा कि मैंने सनातन धर्म को लेकर वही बात कही है कि वो बातें अन्नादुराई, पेरियार और एम करुणानिधि भी यही कहते थे। हालांकि, उदयनिधि स्टालिन ने अपने पुराने बयान को लेकर तर्क दिया कि उनका ऐसा करने का उद्देश्य सनातन धर्म में महिलाओं के खिलाफ होने वाली दमनकारी प्रथाओं के बारे में बताना था। उदयनिधि स्टालिन ने बेतुकी बयानबाजी करते हुए दावा किया कि हिन्दू धर्म में महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था, उन्हें घर से बाहर निकलने पर मनाही होती थी। साथ ही पति की मौत पर उन्हें भी मरना होता था।
उदयनिधि स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य में हिन्दी थोपने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि तमिलगान में हाल ही में कुछ बदलाव किए गए थे, जो कि इन्हीं कोशिशों के सबूत हैं। डीएमके के नेता का तर्क है कि तमिलनाडु में प्रत्यक्ष तौर पर हिन्दी नहीं थोप सकता है, इसीलिए तमिलगान से कुछ शब्दों को हटा दिया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत ऐसा करने की कोशिशें की जा रही हैं।
उदयनिधि स्टालिन का बयान पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण तरीके से दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि डीएमके नेता ने इतिहास को पूरी तरह से अनदेखा करके ये बयान दिया है। सनातन धर्म के इतिहास में गार्गी और अपाला जैसी विदुषी महिलाएं रही हैं, जो कि हर तरह के ज्ञान से परिपूर्ण मानी जाती थीं। हालांकि, अगर डीएमके नेता इस्लाम की कुरीतियों का जिक्र तक नहीं किया।
मामला कुछ यूं है कि पिछले साल सितंबर में चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू औऱ मलेरिया से करते हुए कहा था कि इसे समाप्त करना होगा।
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