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पहले विस्फोट किया, फिर बरसाईं गोलियां

कोर्रा गांव की सोड़ी हुंगी नक्सली बर्बरता का जीता-जागता उदाहरण हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने मौत को बिल्कुल करीब से देखा है। नक्सलियों की करतूत उजागर करते हुए

by WEB DESK
Oct 3, 2024, 02:45 pm IST
in भारत, छत्तीसगढ़
सोड़ी हुंगी (36 वर्ष)
गांव- कोर्रा, जिला- सुकमा

सोड़ी हुंगी (36 वर्ष) गांव- कोर्रा, जिला- सुकमा

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सुकमा जिले के कोर्रा गांव की सोड़ी हुंगी नक्सली बर्बरता का जीता-जागता उदाहरण हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने मौत को बिल्कुल करीब से देखा है। नक्सलियों की करतूत उजागर करते हुए उन्होंने बताया कि 17 मई, 2010 को वह दंतेवाड़ा से सुकमा आने के लिए एक बस में सवार हुईं।

बस यात्रियों से भरी हुई थी। बस अभी चिंगावरम पुलिया के पास पहुंची ही थी कि एक जोरदार धमाका हुआ। इसमें विस्फोट में कुछ लोग मारे गए। यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। अभी लोग कुछ समझ पाते या संभल पाते इससे पहले ही दनादन गोलियां बरसने लगीं। नक्सलियों ने बस पर हमला कर दिया था।

नक्सलियों ने पहले आईईडी विस्फोट किया, फिर यात्रियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे। इस हमले में 15 ग्रामीण मारे गए थे, जबकि 12 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कुछ लोग नक्सलियों के इस दोहरे हमले में जिंदा बच गए थे, जिनमें एक सोड़ी हुंगी भी थीं।

अपने शरीर पर मौजूद छर्रों के निशान दिखाते हुए वह कहती हैं, ‘हमने नक्सलियों का क्या बिगाड़ा था?’ शरीर के घाव उन्हें नक्सलियों की क्रूरता की याद दिलाते हैं। दरअसल, माओवादी पुलिस या सुरक्षाबलों के जवानों की मौजूदगी की आशंका भर से आए दिन यात्री वाहनों पर हमले करते रहते हैं।

इन हमलों में न जाने कितने लोग मारे जाते हैं और जो बच जाते हैं वे सोड़ी हुंगी की तरह उनके दिए घाव सहलाते रहते हैं।

Topics: Maoist policeIED blastsNaxal brutalityआईईडी विस्फोटपाञ्चजन्य विशेषनक्सवाद. माओवादी पुलिसनक्सली बर्बरता
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