जहांगीर : जिसने अपने ही बेटे को अंधा कराया, पांचवें सिख गुरु की हत्या कराई, क्रूरता की हैं कई कहानियां
July 20, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

जहांगीर : जिसने अपने ही बेटे को अंधा कराया, पांचवें सिख गुरु की हत्या कराई, क्रूरता की हैं कई कहानियां

जहांगीर गद्दी का अकेला वारिस था। फिर भी उसने अपने अब्बा अकबर से विद्रोह किया और अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल-फजल का भी कत्ल करवा दिया।

by सोनाली मिश्रा
Aug 31, 2024, 04:42 pm IST
in विश्लेषण
जहांगीर

जहांगीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत के इतिहास में जब मुगलों वाला अध्याय आरंभ होता है तो सबसे क्रूर और हिंदुओं के प्रति सबसे अधिक अंधकार वाले कालखंड का आरंभ होता है। हालांकि उससे पहले भी दिल्ली सल्तनत काल से ही हिन्दू संघर्षरत थे। परंतु मुगल काल इसलिए क्योंकि ये लोग स्थाई रूप से ही दिल्ली, लाहौर और आगरा के बीच बस गए थे। बाबर मात्र चार वर्ष ही रुक सका और उसका बेटा हुमायूँ तो हमेशा भागदौड़ में रहा और लुढ़कते-लुढ़कते ही उसकी मौत हो गई।

अकबर के बाद उसका अय्याश बेटा जहांगीर गद्दी पर बैठा था। हालांकि अकबर के और बेटे भी थे। मुराद और दानियाल, ये दोनों जहांगीर के भाई थे। मगर दोनों की ही मौत जल्दी हो गई थी। मुराद की मौत तब हुई थी जब जहांगीर 30 वर्ष का था और वर्ष 1604 में उसके दूसरे भाई दानियाल की भी मौत हो गई थी। ये दोनों सलीम यानी जहांगीर से भी अधिक अय्याश थे।

जहांगीर गद्दी का अकेला वारिस था। फिर भी उसने अपने अब्बा अकबर से विद्रोह किया और अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल-फजल का भी कत्ल करवा दिया। उसके बाद भी अकबर ने उसे माफ किया और उसे किसी और अभियान के लिए भेजा, मगर स्वभाव से आलसी होने के कारण वह फिर नहीं गया।

जहांगीर और उसके अब्बा हुजूर की बनती नहीं थी, या कहें कि अकबर इतने लाड़ और दुलार के बाद पाए हुए बेटे को शराब में डूबा देखकर दुखी रहता था। इस कारण अकबर ने अपना ध्यान खुसरो पर लगाना आरंभ किया। खुसरो जहाँगीर के सभी बच्चों में सबसे सुंदर था और अकबर उससे प्यार भी बहुत करता था। अपने अब्बा के खिलाफ बिना किसी कारण विद्रोह का झण्डा उठाने वाले जहांगीर ने अपने बेटे खुसरो के विद्रोह का दमन बहुत ही क्रूरता से किया था। उसने अपनी आत्मकथा में यह स्वीकार किया है कि वह बहुत ही अधिक शराब पीता था।

नूरजहाँ, इम्प्रेस ऑफ मुगल इंडिया में इलिसन बैंक्स फाइंडली कई लेखकों और यात्रियों के हवाले से जहांगीर की क्रूरता की कहानी लिखते हैं। खुसरो ने वर्ष 1606 में विद्रोह किया था। मगर वह विफल हुआ। लाहौर के बाहर युद्ध हुआ था। जहांगीर ने अपने बेटे को कारागार में डाल दिया और उसके दो दोस्तों हुसैन बेग और अब्दुर रहीम को बैल और गधे की खाल में भरने का हुकूम दिया। उसने कहा कि इन दोनों को गधों पर बैठाया जाए और उनका चेहरा पुंछ की तरफ होना चाहिए और फिर उन्हें पूरे शहर में घुमाया जाए।

चूंकि बैल की खाल जल्दी सूखती है इसलिए हुसैन बेग जल्दी ही मर गया और उसके सिर को काटकर आगरा के गेट पर लटकाने के लिए भेज दिया गया। अब्दुर रहीम बच गया और उसे रिहा कर दिया गया। उसके बाद जहांगीर ने शहर में मिर्जा कामरान के बगीचे से सड़क के किनारे लकड़ी के खंभे लगे और उन पर उसके आदमियों ने उन सभी की लाशें लटकाईं, जिन्होनें खुसरो के साथ विद्रोह किया था। इतना ही नहीं उसने अपने बेटे खुसरो को हाथी पर बैठाकर ये सब दिखाया कि उसके समर्थकों के साथ क्या किया है और खुसरो उन्हें श्रद्धांजलि दे। उस हाथी पर जहांगीर भी बैठा था और साथ ही महावत खान भी था। महावत हर सिर को खुसरो को बताता जा रहा था।

जहांगीर ने इसके बाद यह तय किया कि वह उन सभी को मारेगा, जिन्होंने खुसरो का साथ दिया था। उसने सिखों के पाँचवें गुरु गुरु अर्जन देव का भी कत्ल कराया। अपनी आत्मकथा में वह लिखता है कि गोबिन्दवाल में ब्यास नदी के तट पर अर्जन नाम का हिन्दू संत भेष में रहता है। उसने भोले-भाले हिंदुओं और कुछ बेवकूफ मुस्लिमों को भी अपने जाल में फंसा रखा है। वे उसे गुरु कहते हैं और उस पर विश्वास जताते हैं। उसके बाद वह कहता है कि ”कई बार मुझे लगा कि इस बेवकूफी पर रोक लगाई जाए और उसे इस्लाम मानने वालों के बीच लाया जाए।” खुसरो जब वहाँ से होकर गुजर रहा था, तो अर्जन देव ने खुसरो से भेंट की और उन्होंने खुसरो के माथे पर तिलक लगाया। गुरु अर्जन देव की हत्या खुसरो का साथ देने के कारण तात्कालिक कारण के चलते कराई गई थी, मगर इस पुस्तक से यह स्पष्ट होता है कि उसका कारण कुछ और था। खुसरो को भी सजा मिलनी आवश्यक थी। इसलिए उसे महावत खान के अनुरोध पर अंधा कर दिया गया। हालांकि जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा में खुसरो के अंधे किए जाने का उल्लेख नहीं किया है, परंतु तत्कालीन लेखक और कई और इतिहासकार इस घटना की पुष्टि करते हैं। उसकी आत्मकथा में भी एक ऐसे व्यक्ति का उल्लेख है, जिसने खुसरो होने का दावा किया था और अपनी आँखों के घाव दिखाए थे।

नूरजहाँ, इम्प्रेस ऑफ मुगल इंडिया में इलिसन बैंक्स फाइंडली फादर फेरानो के 1609 के उद्धरण के हवाले से लिखते हैं कि जहांगीर अपने बेटे को लाहौर से आगरा एक हाथी की पीठ पर लाया था और वह रास्ते में उस जगह पर रुका, जहां उन दोनों के बीच युद्ध हुआ था और फिर उसकी आँखों में कुछ बूटियों का जूस डालकर उसे अंधा कर दिया।

वर्ष 1611 में फिंच दो कहानियाँ बताते हैं कि एक तो जहाँगीर खुसरो को काबुल ले गया, जहाँ पर वह युद्ध हुआ था, और फिर उसने पिघले सीसे से अपने बेटे को अंधा कर दिया और दूसरी यह कि जहाँगीर ने रूमाल से ही अपने बेटे को अंधा कर दिया। वर्ष 1613 में हॉकिंस यह कहते हैं कि खुसरो अपने अब्बा की कैद में था और उसे उसके अब्बा के इशारे पर अंधा कर दिया गया था। टेरी, वर्ष 1622 के आसपास यह कहते हैं कि 1606 के विद्रोह के बाद खुसरो को जेल में डाल दिया गया था, जहां पर उसकी आँखों में कुछ चिपका दिया गया था। हालांकि बाद में कुछ वर्ष बाद उसकी आँखों से वह चिपचिपा पदार्थ हटा दिया गया, मगर फिर भी वह खुलकर देख नहीं पाता था। कुछ कहते हैं कि उसकी आँखों में इतनी तेज कोई तार घुसेड़ा गया था, कि दर्द न सह पाने के कारण अंधा हो गया था।
खुसरो अंधा कैसे हुआ इसके विषय में एकमत नहीं हुआ जा सकता है, मगर इस विषय में लोग एकमत हैं कि उसे अंधा किया गया था।

सलीम बनकर जो जहाँगीर अपने अब्बा के खिलाफ लगातार विद्रोह का झण्डा उठाए रहा, उसने अपने ही बेटे को इतनी भयानक सजा विद्रोह की दी थी और इसी का बहाना लेकर उसने सिखों के पाँचवे गुरु अर्जन देव की भी हत्या की थी। लेकिन जहाँगीर इस सीमा तक कम्युनिस्ट लेखकों का प्रिय है कि उसकी कथित प्रेम कहानी पर “मुगले आजम” बनाई जाती है और उसकी तमाम अय्याशियों को, जिन्हें वह स्वयं स्वीकारता है, को प्यार में डूबे हुए आदमी की कहानी बता दिया जाता है। सलीम-अनारकली की वह कहानी दिखाई जाती है, जिसका उल्लेख जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा में कहीं नहीं किया है। उसने लगभग अपनी हर बीवी और रखैल का उल्लेख किया है, उनसे पैदा हुए बच्चों के बारे में बताया है, मगर अनारकली नामक महिला का उल्लेख उसने अपनी आत्मकथा तूज़ुके जहांगीरी जिसका अंग्रेजी अनुवाद TUZUK-I-JAHANGlRl OR MEMOIKS OF JAHANGIR के रूप में उपलब्ध है, में कहीं भी उसका उल्लेख नहीं है, जिसके बहाने सलीम को एक महान प्रेमी बनाकर पेश किया जाता है।

Topics: खुसरो कौन थाजहांगीर के बच्चेकौन था जहांगीरअनारकली और सलीमसलीम-अनारकली की प्रेम कहानीनूरजहांमुगल आक्रांतामुगलों की कहानीमुगल जहांगीर
Share15TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

महाराणा प्रताप और इस्लामिक आक्रांता अकबर

महान प्रताप हैं, अकबर नहीं : इस्लामी आक्रांता को लेकर जानिये कैसे फैलाया गया झूठ

CM pushkar Singh Dhami

आक्रांताओं के नाम बदल कर धामी सरकार ने रखे सनातन नाम 

Mughal invader Aurangzeb

ये रहे मुगल आक्रांता औरंगजेब के अत्याचारों के सबूत! मंदिर तोड़े, इतिहास को विकृत किया

आगरा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले, बांग्लादेश जैसी गलतियां न करें, आपस में बंटेंगे तो कटेंगे

आगरा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले, बांग्लादेश जैसी गलतियां न करें, आपस में बंटेंगे तो कटेंगे

बंदा बहादुर: जिनके नाम से कांपते थे मुगल, गुरु तेगबहादुर के बलिदान का लिया बदला

कार्ति चिदंबरम

मुगल आक्रांताओं से कांग्रेस नेताओं का प्रेम क्या कहलाता है ?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

CG Rajesh Perry space mission

छत्तीसगढ़ के राजशेखर पैरी जाएंगे अंतरिक्ष मिशन, भेज रही है निजी कंपनी TSI

Arunachal Flood landslide death

अरुणाचल में भूस्खलन और बाढ़ से तबाही, अबतक 15 लोगों की मौत, 36,000 से अधिक प्रभावित

miraz-2000 atra MK2

स्वदेशी Astra Mk2 मिसाइल से लैस होंगे मिराज-2000 विमान

Russia Ukraine War

Russia Ukraine War: क्या हुआ कि युद्धविराम की बात करने लगे जेलेंस्की?

Indus water treaty Manoj Sinha

सिंधु जल समझौता खत्म होना कश्मीर के लिए वरदान: मनोज सिन्हा

WCL 2025 Shikhar Dhawan

WCL 2025: शिखर धवन ने ठुकराया भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच, कहा- ‘देश से बढ़कर कुछ नहीं’

Shashi Tharoor national interest Party loyalty

कांग्रेस से वफादारी पर शशि थरूर: राष्ट्रीय हित पहले, पार्टी बाद में

Irana Shirin Ebadi

शिरीन एबादी ने मूसवी के जनमत संग्रह प्रस्ताव को बताया अव्यवहारिक, ईरान के संविधान पर उठाए सवाल

छत्रपति शिवाजी महाराज के दुर्ग: स्वाभिमान और स्वराज्य की अमर निशानी

महाराष्ट्र के जलगांव में हुई विश्व हिंदू परिषद की बैठक।

विश्व हिंदू परिषद की बैठक: कन्वर्जन और हिंदू समाज की चुनौतियों पर गहन चर्चा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies