सवाल उठ रहे हैं कि राजधानी ढाका सहित देश के अनेक हिस्सों में सत्ता विरोधी आंदोलन की आड़ जिस प्रकार हिन्दुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं क्या उसके लिए भी आरोप तय किए जाएंगे, क्या उसके अपराधियों पर भी कोई कार्रवाई की जाएगी? लेकिन इन सवालों को फिलहाल दरकिनार करते हुए यूनुस की अंतरिम सरकार शेख हसीना सहित उनकी पिछली सरकार के छह अन्य चोटी के लोगों की भी जांच कर रही है।
गत माह छात्रों के कोटा विरोधी आंदोलन के चलते न्यायालय को तत्कालीन हसीना सरकार को कोटा प्रतिशत नीचे लाने का आदेश दिया गया था, लेकिन छात्र और ‘युवा क्रांतिकारी’ इतने भर से राजी न हुए। दुनिया भर को हैरान करते हुए, तब छात्र आंदोलन हसीना हटाओ आंदोलन में बदल गया। आखिरकार 5 अगस्त को आंदोलन ऐसा प्रचंड और हिंसक हो गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को त्यागपत्र सौंपकर भारत में शरण लेनी पड़ी।
लेकिन उसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी छात्रों की अंतरिम सरकार चुन—चुनकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध फैसले ले रही है। आज मंगलवार को ऐसा ही एक फैसला लिया गया जिसके तहत छात्र आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से एक आमजन की हत्या के मामले में बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अभियोग दर्ज करके हत्या की जांच शुरू हुई है।
सवाल उठ रहे हैं कि राजधानी ढाका सहित देश के अनेक हिस्सों में सत्ता विरोधी आंदोलन की आड़ जिस प्रकार हिन्दुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं क्या उसके लिए भी आरोप तय किए जाएंगे, क्या उसके अपराधियों पर भी कोई कार्रवाई की जाएगी? लेकिन इन सवालों को फिलहाल दरकिनार करते हुए यूनुस की अंतरिम सरकार शेख हसीना सहित उनकी पिछली सरकार के छह अन्य चोटी के लोगों की भी जांच कर रही है।
इन सबके विरुद्ध एक आम जन की ओर से मामला दर्ज किया गया है; उसके वकील मामून मियां का कहना है कि ढाका के न्यायालय ने पुलिस को आदेश दे दिया है कि “आरोपी लोगों के विरुद्ध हत्या का अभियोग” स्वीकार किया जाए।
जैसा पहले बताया, देश में राजनीतिक उठापटक के चलते हसीना ने अपना इस्तीफा सौंपकर भारत में शरण ली। लेकिन उसके बाद, उस देश में कट्टरपंथियों ने हिंसा का खुलेआम नंगा नाच किया। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग और उन हिन्दुओं को मारा, जलाया, पीटा, उजाड़ा गया जो उस देश को अपनी मातृभूमि मानकर वहां रहते आए थे। हिंसा का वैसा वीभत्स रूप शायद बहुत वर्षों बाद बांग्लादेश में देखा गया हो।
आज भी वहां हिन्दू विरोधी हिंसा थमी नहीं है। दूर—दराज के क्षेत्रों से हिंसक कार्रवाइयों के समाचार मिल रहे हैं। वैसे, दुनिया को दिखाने को देश के मुख्य सलाहकार आज ही ढाका के सुप्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर भी हो आए हैं। शायद इसलिए कि मीडिया के माध्यम से यह जता सकें कि कट्टरपंथी अंतरिम सरकार के होते भी ‘हिन्दू धर्मस्थल सुरक्षित हैं।’ जबकि भारत सहित दुनिया भर में हिन्दुओं और उनके मंदिरों के प्रति बरती जा रही बर्बरता के दृश्य पहुंच चुके हैं।
सरकारी आंकड़ा है कि छात्र आंदोलनों के दौरान 400 से अधिक लोगों की जान गई है। कहा जा रहा है कि बहुतेरे तो हसीना के आदेश पर पुलिस के गोली चलाने से मारे गए। सच जो भी हो, बांग्लादेश अब कट्टरपंथियों के ऐसे भंवरजाल में फंसता दिखाई दे रहा है, जहां जमाते इस्लामी, खालिदा जिया की बीएनपी और अन्य मजहबी उन्मादी मनमानी करेंगे और कुछ वक्त पहले तक विकास की ओर बढ़ता दिखने वाला वह देश अब गर्त में जाने को मजबूर बना दिया गया है।
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