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होम भारत

फिर कभी नहीं लौट पाए

हम जैसे-तैसे जान बचाकर अपने परिवार के साथ पहले छोटी रेलवे लाइन से मुल्तान की तरफ सिंध के पार गए।

by Sudhir Kumar Pandey
Aug 13, 2024, 11:50 am IST
in भारत, विश्लेषण
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हमारी बहन के रिश्ते में उनकी एक ननद थी मुसलमान उन्हें उठा ले गए। हम जैसे-तैसे जान बचाकर अपने परिवार के साथ पहले छोटी रेलवे लाइन से मुल्तान की तरफ सिंध के पार गए। रात भर भूखे-प्यासे रहे, क्योंकि मुसलमान पीने के पानी में जहर मिला देते थे

मुल्खराज गुलाटी
बन्नू (पाकिस्तान)

मैं अविभाजित भारत के फ्रंटियर जिले के बन्नू कस्बे में रहता था। भारत विभाजन के समय मेरी आयु नौ बरस की थी। हमारे यहां खजूर और मक्के की फसल हुआ करती थी। पिताजी और दादा जी मंडी में जाकर फसल बेचा करते थे।
शहर और गांव दोनों जगह हमारे मकान थे। आलीशान कोठी हुआ करती थी।

हमारी बन्नू शहर में देवीदयाल पोखर दास के नाम से फर्म हुआ करती थी। मेरे चचेरे भाई कालू राम की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी। हमारी बहन के रिश्ते में उनकी एक ननद थी। मुसलमान उन्हें उठा ले गए। हम जैसे-तैसे जान बचाकर अपने परिवार के साथ पहले छोटी रेलवे लाइन से मुल्तान की तरफ सिंध के पार गए।

हम सब रात भर भूखे-प्यासे रहे, क्योंकि मुसलमान पीने के पानी में जहर मिला देते थे। सुबह हम बड़ी लाइन से ट्रेन में बैठ कर अटारी पहुंचे। वहां से कुरुक्षेत्र कैंप में आए जहां हम जैसे हजारों परिवारों को एक टेंट कॉलोनी बना कर रखा गया था। वहां से फिर हम बरेली आए, बरेली से रुद्रपुर आकर बसे। पिता जी को लगता था कि हम एक दिन वापस जाएंगे। हमारा सब कुछ तो वहीं रह गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। वापस लौटने की उम्मीद धरी की धरी रह गई।

(लेखक – अरुण कुमार सिंह, अश्वनी मिश्रा, दिनेश मानसेरा एवं अनुरोध भारद्वाज)

Topics: Bannu cityMuslims would mix poison in drinking waterPartition of Indiaभारत विभाजनअविभाजित भारतundivided Indiahorrors of partitionपाञ्चजन्य विशेषविभाजन की विभिषिकाबन्नू शहरमुसलमान पीने के पानी में जहर मिला देते
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