बांग्लादेश में दंगा शुरू हो गया है। देश की राजधानी ढाका में सरकारी नौकरियों की मांग को लेकर वहां के छात्र दंगा शुरू हो गया है। छात्र सड़क पर उतर गए हैं। छात्रों द्वारा किए जा रहे दंगों के कारण अब तक 32 लोगों की मौत हो गई है और 2500 से भी अधिक लोग घायल हो गए हैं। इस दंगे में कई सारी सरकारी इमारतों को भी खासा नुकसान पहुंचा है। छात्र 1971 मुक्ति संग्राम सेनानियों को सरकारी नौकरियों में मिले आरक्षण को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
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क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर हजारों छात्र अपने हाथ में लाठी और पत्थरों को लेकर सड़कों पर उतर गए। उन्होंने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। वहीं ढाका के पुलिसकर्मियों और दंगाइयों के बीच जमकर मारपीट हुई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चटगांव में पुलिस ने लाठियां भांजी और आंसू गैस के गोले छोड़े। उधर दंगाइयों ने राजधानी के रामपुरा इलाके में सरकारी बांग्लादेश टीवी बिल्डिंग की घेराबंदी की। दंगाइयों ने बिल्डिंग के सामने के हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया है। कई गाड़ियों को आग लगा दी गई। इस कारण से करीब 1200 से अधिक कर्मचारी अंदर ही फंस गए थे।
वहीं प्रदर्शन को दबाने के लिए शेख हसीना की सरकार ने देश के कई स्थानों मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। इतना ही नहीं अधिकारियों रेलवे सेवाओं के साथ ही मेट्रो रेल सेवाओं को भी बंद कर दिया था। वहां हालात इतने खराब हो गए हैं कि सरकार ने देशभर में बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड को तैनात कर दिया है।
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झुकी सरकार
इस बीच बांग्लादेश की सरकार भी दंगाइयों के सामने झुक गई है। बांग्लादेश के कानून मंत्री अनीसुल हक ने झुकते हुए कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए तैयार है। छात्रों की मांग है कि सरकार 1971 में मुक्ति संग्राम से जुड़े लोगों के परिवारों को दिए जाने वाले 30 फीसदी आरक्षण को रद्द करने की मांग की है। राज्य उन लोगों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण बंद करे जो 1971 में मुक्ति संग्राम से जुड़े हैं। इस बीच, भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए सलाह जारी की है। उन्होंने गैर-जरूरी यात्रा से बचने और अपने आवासों के बाहर आवाजाही को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहा है।
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