सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला, जिसने 39 साल पुराने शाह बानो केस की यादों को कर दिया ताजा
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सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला, जिसने 39 साल पुराने शाह बानो केस की यादों को कर दिया ताजा

इसके बाद तत्कालीन राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 लेकर आई। इसके तहत संसद के जरिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।

by Kuldeep Singh
Jul 11, 2024, 12:26 pm IST
in भारत
Supreme court Shah bano case

सुप्रीम कोर्ट, (फोटो साभार: लाइव लॉ)

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सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को नई मजबूती प्रदान की है। शीर्ष अदालत इस फैसले के अनुसार, CRPC की धारा 25 के तहत मुस्लिम महिलाओं को ये अधिकार है कि वे अपने शौहर से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं। कोर्ट ने कहा है कि इससे महिलाओं के समानता और न्याय के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने 39 साल पुराने शाह बानो केस की यादों को ताजा कर दी है।

इसे भी पढ़ें: 18 महीने में जाली नोट और आतंकवाद के मामलों में 100 दोषी करार: NIA

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति के खिलाफ भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं भरण-पोषण के अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 125 सभी महिलाएं अपने भरण पोषण के लिए दावा कर सकती हैं।

क्या है शाह बानो केस

लेकिन, आखिर क्या है शाह बानो केस, जिसकी याद सुप्रीम कोर्ट के फैसले दिला दी है। दरअसल, वर्ष 1985 में मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था कि मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। अपने फैसले में उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा शाह बानो के केस में फैसला सुनाया था कि उसका शौहर उसे इद्दत अवधि (3 माह) में भरण-पोषण की राशि देने के वास्तविक दायित्व देने को लेकर विवाद पैदा हो गया था।

इसे भी पढ़ें: ‘गुरु गैरी’ पर भारत ने लुटाया प्यार, पाकिस्तान ने किया अपमान, शाहीन अफरीदी की शर्मनाक हरकत से गैरी कर्स्टन आहत

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देशभर के इस्लामिक संगठन इसके विरोध में उतर गए। इसके दबाव में आते ही तत्कालीन राजीव गांधी सरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद खान को मैदान में उतारा, जिनका इस्लामिक धर्म गुरुओं ने कड़ा विरोध किया, जिसके बाद एक बार फिर से राजीव गांधी सरकार ने अपने एक और मंत्री जेड ए अंसारी को मैदान में उतारा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर सकें।

इसके बाद तत्कालीन राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 लेकर आई। इसके तहत संसद के जरिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। राजनीति के जानकार शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और फिर राजीव गांधी सरकार द्वारा पलटने की घटना को मुस्लिम महिलाओं पर सबसे बड़े अत्याचार के तौर पर देखते हैं।

Topics: सीआरपीसी धारा 125Muslim woman maintenance rightsSection 125 of CRPCSupreme Courtसुप्रीम कोर्टशाह बानो केसShah Bano Caseमुस्लिम महिला भरण पोषण अधिकार
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