लोकसभा चुनाव-2024 के लिए पहले चरण का मतदान कल होने जा रहा है, लेकिन उससे पहले विपक्ष ईवीएम का रोना रोने में लगा हुआ है। इसी को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट गया और वहां मांग की कि सुप्रीम कोर्ट ईवीएम के साथ ही 100 फीसदी वीवीपैट स्लिप के मिलान के लिए चुनाव आयोग को आदेश जारी करे। इस पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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दरअसल, अभी किसी भी विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र की किसी 5 ईवीएम मशीनों की रैंडम जांच की जाती है।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ADR समेत अन्य वकीलों और चुनाव आयोग की 5 घंटे दलीलें सुनी। वकील प्रशांत भूषण, संजय हेगड़े और गोपाल शंकरनारायण ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। वहीं चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से वीवीपैट को लेकर सवाल किया कि क्या मतदाताओं को वीवीपैट की पर्ची नहीं दी जा सकती है? इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अगर ऐसा किया गया तो इससे वोटर्स की गोपनीयता भंग होगी और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। दूसरे लोग इसका किस तरह से इस्तेमाल करेंगे हम नहीं कह सकते हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग ईवीएम और वीवीपैट की पूरी प्रक्रिया को भी अच्छे से समझा।
वहीं याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील संतोष पॉल ने ईवीएम के सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि विकसित देशों ने इस सिस्टम को इस्तेमाल करना छोड़ दिया है? उनके इस सवाल पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि ऐसा सोचने की कोई जरूरत नहीं है कि दूसरे देश भारत से अधिक एडवांस हैं।
प्रशांत भूषण को भी दी नसीहत
इस बीच सुनवाई के दौरान भूषण ने वीवीपैट को यह मतदाताओं के विश्वास का सवाल करार देते हुए पूछा कि ऐसा करने में क्या दिक्कत है? वोटर को पर्ची कटकर बॉक्स में गिरती हुई दिखनी चाहिए। मतदाता को पर्ची कटती और बॉक्स में गिरती हुई दिखनी चाहिए। पूर्व सीईसी कुरेशी ने बताया कि वीवीपैट पर्चियों की गिनती बहुत ज्यादा नहीं है, मतपत्रों की गिनती में 2 दिन से भी कम समय लगा।
प्रशांत भूषण ने ये भी कहा कि कुछ प्रोग्राम पहले से फीड किए जाते हैं, जिनमें वोटिंग के बाद पर्ची लटकती दिख रही है, कटकर गिरी हुई नहीं दिख रही है, इसलिए जनता में बेचैनी है। उनके इन सवालों के जबाव में जस्टिस संजीव खन्ना ने वकील भूषण को खुद को कानूनी तर्कों तक ही सीमित रहने की नसीहत दी। जज ने कहा कि हम पहले ही कह रहे हैं कि बेहतर कम्युनिकेशन होना चाहिए था।
मद्रास हाई कोर्ट ने वीवीपैट के याचिकाकर्ता को दिया झटका
इस बीच गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट ने उस पीआईएल को खारिज कर दिया, जिसमें ये मांग की गई थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को ये आदेश दे कि वह ईवीएम से डाले की प्रत्येक वोट का वीवीपैट से मिलान करे। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति जे सत्य नारायण प्रसाद की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इसी तरह की राहत की मांग वाले मामले पर सुनवाई कर रहा है।
न्यायालय ने कहा कि इसलिए, एफ कैमिलस सेल्वा द्वारा दायर वर्तमान जनहित याचिका को खारिज करना उचित होगा।
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