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कृषि विशेष : लहलहा उठी बंजर भूमि

आंध्र प्रदेश के पी. रामकृष्णम ने अपनी 18 एकड़ बंजर भूमि को हरा-भरा बनाया। इसके लिए उन्होंने अपने खेत में देसी गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग किया

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Apr 13, 2024, 08:26 pm IST
in भारत, आंध्र प्रदेश
अपने खेत में ट्रैक्टर चलाते पी. रामकृष्णम

अपने खेत में ट्रैक्टर चलाते पी. रामकृष्णम

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मानव अपनी इच्छाशक्ति और परिश्रम से कुछ भी प्राप्त कर सकता है। कुछ ऐसा ही किया है पी. रामकृष्णम ने। उन्होंने आंध्र प्रदेश में बंजर भूमि को हरा-भरा बना दिया है। अनकापल्ली जिले के बुचय्यापेटा मंडल के कोंडापालेम के पास 18 एकड़ बंजर भूमि उनकी मेहनत की गाथा सुनाती है। उन्होंने 2015 में गो-आधारित कृषि के जरिए यहां बागवानी करनी शुरू की।

आज उनकी बागवानी की चर्चा दूर-दूर तक होती है। बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए उन्होंने सबसे पहले यहां वर्षा जल को रोकने का कार्य किया। इसके लिए जल संचयन की विधियों को अपनाया। इसके अंतर्गत जमीन में 1600 मीटर लंबी तीन इंच गुना तीन इंच की खाई खोदी गई। इसके अलावा जगह-जगह अन्य खाइयां भी खोदी गईं। इन खाइयों के माध्यम से एक वर्ष में 1.5 करोड़ लीटर वर्षा जल का संचयन किया गया। इस तरह तीन वर्ष के अंदर उस बंजर जमीन का जल स्तर काफी बढ़ गया।
जीवामृत बनाने और मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए इसके बाद देसी गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग किया गया। इसके अलावा उपलब्ध सभी हरे और सूखे बायोमास को पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर फैलाया गया। इसके परिणामस्वरूप यहां की मिट्टी फल और सब्जियां पैदा करने के उपयुक्त हो गई। मिट्टी के प्राकृतिक आवरण को कोई नुकसान न हो, इसके लिए ऐसे उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है, जिससे कि आवरण को नुकसान हो। यहां बहुफसली विधियों का पालन किया जाता है।

कीट अवरोधक पौधे जैसे-शरीफा, नीम, तुलसी आदि और नाइट्रोजन स्थिरीकरण पौधे जैसे मोरिंगा (ड्रमस्टिक) और ग्लिरिसेडिया (गिरि पुष्पा) को खेत में विशिष्ट स्थानों पर रणनीतिक रूप से लगाया गया है। पांच-परत विधि का पालन कर विभिन्न प्रकार के पौधों को एक-दूसरे से उपयुक्त दूरी पर लगाकर और एकल फसल पद्धतियों से परहेज करके, कीटों को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया गया है। ज्वार और बाजरा जैसी मौसमी फसलें भी उगाई जाती हैं।

ये फसलें छोटे पक्षियों को आकर्षित करती हैं, जो कीटों को उठा लेते हैं और ध्यान देने योग्य अंतर लाते हैं। यहां छह देसी गायें भी रखी गई हैं। रामकृष्णम कहते हैं, ‘‘समय को देखते हुए वर्षा जल को रोककर ज्यादा से ज्यादा बंजर भूमि को हरा-भरा करने की आवश्यकता है।’’

Topics: Neemगो-आधारित कृषिCow-Based Agricultureबंजर भूमिशरीफानाइट्रोजन स्थिरीकरण पौधेBarren landCustard appleनीमNitrogen fixing plantsTulsiतुलसी
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