सागर मंथन में केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री श्रीपाद येसो नाईक ने ‘आक्रांताओं से परे अपनी पहचान’ विषय पर विचार रखे। प्रस्तुत हैं तृप्ति श्रीवास्तव से हुई उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-
देश में धार्मिक पर्यटन के लिए संभावना बढ़ी है। काशी में गलियारा बनने के बाद वहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अच्छी बात यह है कि हम भीड़ और उसका प्रबंधन करने में भी सफल हुए। अब सौभाग्य से अयोध्या का सपना साकार होते देख रहे हैं। इस मंदिर के निर्माण के लिए कई पीढ़ियों ने अपना बलिदान दिया है।
अनगिनत भारतीयों ने अयोध्या मंदिर आंदोलन में हिस्सा लिया है। यह आस्था और संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है। राम भारत के आदिपुरुष हैं, रामायण जीवन की संपूर्ण शिक्षा है और यही हमारे आदर्श भी हैं। श्रीराम जन्मभूमि में रोजाना आस्थावान पर्यटक आते हैं। भारत सरकार ने यह काम अपने हाथ लिया है कि ऐसे धार्मिक स्थलों के विकास का काम शीघ्रता से हो। ‘स्वदेश दर्शन’ की योजना से जुड़ने वाले राज्य को केंद्र की ओर से 100 प्रतिशत मदद मिलती है, जिससे दुकान, बाजार, हॉल, साउंड सभी तरह की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
राज्यों के छोटे इलाकों के विकास के लिए उनके सालाना प्लान यानी सैप (स्टेट एनुअल प्लान) के माध्यम से काम होता है। इससे अलग कोई और जरूरत के विशेष काम करवाने हों तो, उसके लिए अलग से भी प्रावधान हैं जैसे मध्य प्रदेश में महाकाल गलियारे का निर्माण। ऐसे धार्मिक स्थानों पर लोगों को सुविधा देने के लिए, वहां नए रास्ते बनाने के लिए कई तरीके से पैसे दिए जाते हैं। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिले, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। देश में सबसे ज्यादा कमाई देने वाला क्षेत्र पर्यटन ही है। सरकार का मंतव्य देशी और विदेशी दोनों श्रेणी के पर्यटकों के लिए ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देना है। जल्दी ही देश की अर्थव्यवस्था पांचवीं से तीसरी पर आ जाएगी। साल 2047 तक भारत विश्व का सबसे मजबूत देश हो, इस दृष्टि के साथ काम हो रहा है।
गोवा में जो संभावना है, वह अब किसी ‘सीजन’ तक सीमित नहीं रहेगी। अब गोवा में साल भर पर्यटन ‘सीजन’ जारी रहेगा, चाहे बारिश हो या बाकी मौसम। इससे यहां के युवाओं के लिए रोजगार का सृजन भी होगा। नौकरियां तो हर जगह सीमित ही हैं। इसलिए ‘होम स्टे’ को बढ़ावा देने पर काम चल रहा है, ताकि रोजगार के नए अवसर भी बढ़ें। इसके साथ ही, एग्रो टूरिज्म, फॉरेस्ट टूरिज्म आदि को बढ़ाने के लिए भी जोर-शोर से काम हो रहा है।
‘सागर मंथन’ का सुशासन संवाद गोवा में हो रहा है। इसलिए यहां हो रहे काम भी पाञ्चजन्य के माध्यम से सब तक पहुंचना चाहिए। गोवा में जो संभावना है, वह अब किसी ‘सीजन’ तक सीमित नहीं रहेगी। अब गोवा में साल भर पर्यटन ‘सीजन’ जारी रहेगा, चाहे बारिश हो या बाकी मौसम। इससे यहां के युवाओं के लिए रोजगार का सृजन भी होगा। नौकरियां तो हर जगह सीमित ही हैं। इसलिए ‘होम स्टे’ को बढ़ावा देने पर काम चल रहा है, ताकि रोजगार के नए अवसर भी बढ़ें। इसके साथ ही, एग्रो टूरिज्म, फॉरेस्ट टूरिज्म आदि को बढ़ाने के लिए भी जोर-शोर से काम हो रहा है। हम सबने कोविड में जिस तरह की आपदा झेली, और पर्यटन उद्योग बेहद तकलीफ के दौर से गुजरा, अब वैसी स्थितियां नहीं हैं। सरकार और जनता हर चुनौती के लिए तैयार है। पर्यटन फिर अपनी पूरी रफ़्तार में है।
सरकार और पर्यटन मंत्रालय दोनों मिलकर गोवा की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उसके बारे में जनता को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। यहां अनेक मंदिर हैं, जिनका समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है। जब ये गाथाएं लोगों को मालूम होंगी, तो उन्हें आकर्षित करेंगी। इससे मंदिरों के आस-पास के पूरे इलाके में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, आय बढ़ेगी और अवसर भी बढ़ेंगे। सरकार पर्यटन के क्षेत्र को व्यवस्थित करने और उसके मसलों पर त्वरित काम करने के लिए ‘पर्यटन बोर्ड’ के गठन पर भी विचार कर रही है, जिस पर समय रहते अमल हो जाएगा।
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