दिव्य उत्सव में दिव्यांग राइडर्स की वह टीम भी शामिल हुई जिसने हाल ही में दिल्ली से पूर्वोत्तर भारत तक जाने और आने की लगभग 5500 किमी लंबी यात्रा पूरी करके विश्व कीर्तिमान बनाया है।
अब दिव्यांग दुख-दर्द और हताशा की जंजीरों को तोड़कर उत्सव मनाना और सपने देखना सीख रहे हैं। दिसंबर माह में दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में हजारों लोगों ने समय के इस बदलाव को बड़े हर्ष के साथ देखा और महसूस किया।
अवसर था दिव्यांग उत्सव का। प्रारंभ में नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी ने दिव्यांगों के सम्मान में अपनी विशेष नाट्य-संगीत प्रस्तुति दी। इसके बाद दिव्यांगों ने कला और संस्कृति की ऐसी झांकियां प्रस्तुत कीं कि लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। मंच पर चल रहे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ उत्सव को एक ऐसे मेले का भी रूप दिया गया, जिसमें दिव्यांग अपने बनाए उत्पादों को समाज के सामने प्रस्तुत कर सकें।
इस अवसर पर एक विशेष कला प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें सहयोगी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दिव्यांग कलाकारों की विशिष्ट कलाकृतियां प्रदर्शित की गई थीं। दिव्य उत्सव में दिव्यांग राइडर्स की वह टीम भी शामिल हुई जिसने हाल ही में दिल्ली से पूर्वोत्तर भारत तक जाने और आने की लगभग 5500 किमी लंबी यात्रा पूरी करके विश्व कीर्तिमान बनाया है।
यह पूरी यात्रा उन्होंने अपने सामान्य स्कूटर और मोटर साइकल से की जिसे इस यात्रा के लिए खास तरीके से तैयार किया गया था। इन राइडर्स का उत्साह-वर्धन करने के साथ-साथ दो दिन में दिव्य उत्सव के मंच से कई दिव्यांग एथलीटों एवं अन्य को उनकी विशिष्ट क्षमताओं के लिए सम्मानित किया गया।
उत्सव को सफल बनाने में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और कुछ अन्य संगठनों ने भरपूर सहयोग दिया। इस विभाग के मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक और मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को एक खास ऊंचाई दी।
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