वक्त बदल रहा है, लेकिन बॉलीवुड नहीं बदल रहा है। देश की अस्मिता पर कुठाराघात करने की उसकी मानसिकता अब लोगों के मन से मुम्बइया फिल्मों को दूर कर रही है
एक समय में ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ के तौर पर पहचान रखने वाले आमिर खान का मत है कि कोई भी फिल्म जब तक अपनी लागत का पांच गुना न कमा ले तो उसे सफल फिल्म कतई नहीं कहा जा सकता। हालांकि सिनेमा जगत के जानकार मानते हैं कि कोई फिल्म अपनी लागत का दोगुना भी वसूल लेती है तो ‘हिट’ मानी जाती है। हो सकता है कि आमिर ने लागत से पांच गुना कमाई का पैमाना खासतौर से अपने लिए तय किया हो। लेकिन ऐसा सोचते समय शायद उन्हें अंदाजा नहीं होगा कि भविष्य में साल 2022 भी आएगा, जब उनकी किसी फिल्म को पांच गुना मुनाफा तो दूर की बात है, लागत तक निकालने में मुश्किल आएगी। यहां बात केवल आमिर खान की ही नहीं है। लगभग पूरे बॉलीवुड का यही हाल है। 2022 में हर कोई किसी न किसी वजह से माथा पकड़कर बैठा है। हालांकि कुछेक फिल्म सितारों और फिल्मकारों के पास ही खुशियां मनाने की वाजिब वजह दिखती है। वरना अधिकतर तो ऐसे भी हैं, जो केवल इसलिए मुंह फुलाए हैं कि उनकी फिल्म न चलकर दक्षिण की फिल्में खूब चलीं। ये वही लोग हैं, जो कुछ साल पहले तक हॉलीवुड फिल्मों की सफलता से जला-भुना करते थे।
सब पर भारी ‘दि कश्मीर फाइल्स’
2022 के शुरू होते ही एक के बाद बॉलीवुड फिल्में बॉक्स आफिस पर लुढ़कने लगीं। तभी विवेक अग्निहोत्री निर्देशित ‘दि कश्मीर फाइल्स’ ने मोर्चा संभाला। अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, दर्शन सिंह जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म 90 के दौर में कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचार और पलायन की खूनी दास्तां सुनाती है। फिल्म को लेकर आम दर्शकों में शुरुआती दो-तीन दिनों में कोई खास चर्चा नहीं हो रही थी। लेकिन जब बॉलीवुड के ही कुछ लोगों ने इस फिल्म को लेकर हमेशा की तरह टीका-टिप्पणी करनी शुरू की तो अचानक फिल्म के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी। फिल्म में जब लोगों ने एक ऐसे अनकहे सच को देखा, जिसे जान-बूझकर कभी बाहर ही नहीं आने दिया गया था, तो मानो उनके सब्र का बांध टूट गया। नतीजतन मात्र 20 करोड़ रु. की लागत से बनी ‘दि कश्मीर फाइल्स’ ने केवल सात दिन में 100 करोड़ रु. से अधिक का कारोबार कर डाला। इस फिल्म का वैश्विक कारोबार 340 करोड़ रु. रहा, जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है। फिल्म अपनी लागत से 300 गुना अधिक मुनाफा बटोरने में कामयाब रही।
बड़े-छोटे, सब घाटे में
एक-दो को छोड़कर 2022 बॉलीवुड के लिए किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं रहा। खासतौर से बड़े सितारों के लिए, जो अक्सर अपनी फिल्मों के लेकर बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम आमिर खान का है, जिन्हें लगता था कि उनकी फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ 500 से 1000 करोड़ रु. के बीच तो आसानी से कमा लेगी, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट। फिल्म पूरी तरह पिट गई और करीब 134 करोड़ रु. का घाटा हुआ।
दरअसल, लोगों को याद था कि कैसे आमिर अपने विवादित बयानों से और अपनी फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं पर समय-समय पर चोट करते रहे हैं। इस बार जनता ने आड़े हाथों लेते हुए जता दिया कि अब यह सब नहीं चलने वाला।
आमिर की ही तरह इस साल अक्षय कुमार की फिल्मों ने भी खासा निराश किया। हालांकि उनकी फिल्मों (‘रामसेतु’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘बच्चन पांडे’ और ‘रक्षाबंधन’) के विषय काफी अच्छे थे और सराहे भी गए लेकिन उनके परिणाम उम्मीद से उलट रहे। बावजूद इसके अक्षय कुमार की फिल्मों का हश्र आमिर की फिल्मों जैसा तो नहीं हुआ। 2022 में सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्मों की सूची में अक्षय की ‘रामसेतु’ को 10वां स्थान मिला है, जो 92 करोड़ रु. बटोरने में सफल रही।
दरअसल, 2022 को बॉलीवुड के लिए इसलिए सबसे बुरा कहा जा रहा, क्योंकि ज्यादातर फिल्में 20-30 करोड़ रु. बटोर पाने में भी असफल रही हैं और 10 करोड़ रु. से कम बटोरने वालों की तो पूछो ही मत। करीब 30 से अधिक फिल्में ऐसी हैं, जिन पर ‘फ्लॉप’ का ठप्पा लगा है। तो दूसरी तरफ ‘दि कश्मीर फाइल्स’ के अलावा ‘ब्रह्मास्त्र : चैप्टर वन शिवा’ एकमात्र ऐसी फिल्म है, जो 431 करोड़ रु. बटोरकर सूची में सबसे ऊपर आने में कामयाब रही। बताया जा रहा है यह फिल्म 400 रु. में बनी है। इस लिहाज से इसे भी एक औसत फिल्म ही कही जा सकती है। इसके अलावा अजय देवगन की ‘दृश्यम 2’ ने काफी अच्छा कारोबार किया है और जताया है कि कैसे एक साधारण विषय से दिलचस्प फिल्म बनाई जा सकती है।
यह फिल्म वैश्विक स्तर पर करीब 306 करोड़ रु. का कारोबार कर चुकी है। इसके अलावा भूल भुलैय्या 2 (266 करोड़ रु.), गंगूबाई काठियावाड़ी (209 करोड़ रु.), राधे श्याम (151 करोड़ रु.), जुग जुग जियो (136 करोड़ रु.), विक्रम वेधा (135 करोड़ रु.) जैसी फिल्मों से बेशक कुछ सहारा तो लगा ही है।
दक्षिण की सनसनी
कहना मुश्किल है कि आने वाले समय में ‘केजीएफ 2’ के हिंदी संस्करण की कमाई का आंकड़ा कोई अन्य दक्षिण की फिल्म तोड़ पाएगी। क्योंकि हिंदी पट्टी में दक्षिण की कोई फिल्म 434 करोड़ रु. कमा जाए, यह कोई छोटी बात नहीं है। और बॉलीवुड शायद इसी बात से स्तब्ध भी है। पूरी तरह से अभिनेता यश के कंधों पर टिकी यह फिल्म 100 करोड़ रु. की लागत से बनी और इसका वैश्विक कारोबार 1250 करोड़ रु. रहा। स्पष्ट है कि फिल्म की कमाई का एक बड़ा हिस्सा उत्तर भारतीय दर्शकों के प्यार का नतीजा है, जबकि इस मसाला फिल्म में हर वह चीज है, जिसके लिए कभी बॉलीवुड जाना जाता था। वैसे, बॉलीवुड के माथे पर पसीना लाने का काम एस. एस. राजामौली की फिल्म ‘आरआरआर’ ने भी बखूबी किया है, जिसका वैश्विक कारोबार करीब 1200 करोड़ रु. रहा। इस फिल्म के हिंदी संस्करण ने 277 करोड़ रु. का कारोबार कर बॉलीवुड बिरादरी की नींद उड़ाने का काम किया है।
दरअसल, इस साल मार्च-अप्रैल के महीनों में दक्षिण की दो बड़ी फिल्मों की सफलता से बॉलीवुड का हैरान होना लाजिमी था, क्योंकि उनकी खुद की फिल्में लाख जतन के बावजूद पिट रही थीं। ऐसे में वज्रपात हुआ ‘कांतारा’ और ‘कार्तिकेय 2’ जैसी फिल्मों की सफलता से, जिनकी निर्माण लागत देखकर रणबीर और रनवीर को शर्म आ गई होगी। महज 16 करोड़ रु. में बनी ‘कांतारा’ ने पूरी दुनिया में लगभग 450 करोड़ रु. का काराबोर किया है, जबकि हिंदी संस्करण से फिल्म को 81 करोड़ रु. की कमाई हुई है। 16 करोड़ रु. में बनी ‘कार्तिकेय 2’ ने भी वैश्विक स्तर पर 120 करोड़ रु. का काराबोर किया है, जबकि हिंदी संस्करण से इसके खाते में 30 करोड़ रु. आए। दरअसल, यह तीनों खानों समेत बॉलीवुड के लिए आत्ममंथन का समय है। यह जानने के लिए कि आखिर क्या वजह है कि उनकी फिल्में हर तरह से संघर्ष कर रही हैं और दक्षिण की फिल्में अपनी लागत से पांच से दस गुना तक आसानी से कमा रही हैं। खुद को समय की मांग के अनुसार नहीं बदला तो शायद भविष्य की बॉलीवुड फिल्में भी दर्शकों को सिनेमा हॉल से दूर रखेंगी।
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