विश्वभर में बसे भारतवंशी भारत आना चाहते हैं। हमें उनके कौशल का लाभ लेते हुए पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। पर्यटन को व्यवसाय से जोड़कर आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के प्रो. अनिल कुमार राय ने व्यक्त किये। वे विश्वविद्यालय में भारतीय डायस्पोरा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य : जीवन दर्शन एवं संस्कृति विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में पर्यटन एवं डायस्पोरा विषय पर आयोजित सत्र में अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे। 2 अगस्त को आयोजित सत्र में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के डायस्पोरा अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. अतनू, चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय के प्रो. नवीन चंद्र लोहानी, गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. अर्चना सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये।
प्रो. अतनू ने कहा कि भारतीय लोगों का प्रवासन सांस्कृतिक, धार्मिक और श्रमिक इन तीन चरणों में हुआ है। डायस्पोरा और पर्यटन सहजीवी हैं। उन्होंने कहा कि टीवी सीरियल और फिल्मों में विरासतों को प्रदर्शित कर प्रवासी भारतीय लोगों को आकर्षित किया जाना चाहिए। इससे पर्यटन का विस्तार होगा और अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो सकेगी। प्रो. नवीन चंद्र लोहानी ने ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीय विदेशों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर रहे है, इससे भौगोलिक विस्तार के साथ-साथ सांस्कृतिक विस्तार भी हो रहा है। उन्होंने युवा प्रवासियों को जोड़ने के लिए विशेष योजना तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. अर्चना सिंह ने विभिन्न उत्सवों एवं मौसमी खेती पर आधारित पर्यटन के माध्यम से प्रवासी भारतीय लोगों को आकर्षित किया जा सकता है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी हिमांशु शेखर, शोधार्थी, को आमंत्रित किया। जिसमें उन्होंने ए स्टडी ऑफ इंडियन टूरिज़्म डायस्पोरा विषय पर ऑनलाइन माध्यम से अपना शोध आलेख प्रस्तुत किया। सत्र का संचालन संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ. राजीव रंजन राय ने किया सहायक प्रोफेसर डॉ. मुन्ना लाल गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम समाप्त हुआ।
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