जम्मू—कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने, सुरक्षा एवं विश्वास का माहौल पैदा करने के लिए पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजीत डोभाल समेत अनेक उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इस दौरान जो रणनीति बनी अब उस पर काम शुरू हो गया है। खबरों के अनुसार थाना और चौकी स्तर पर मानव बल की कमी को दूर करते हुए त्वरित कार्रवाई दस्ते तैनात किए जा रहे हैं। आतंकरोधी अभियानों में बीएसएफ और एसएसबी की भूमिका को भी बढ़ाया जा रहा है। वहीं, 30 जून से शुरू हो रही श्री अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा कवच को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की प्रक्रिया 15 जून तक पूरी कर ली जाएगी। इसी के साथ 4500 कश्मीरी हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक कर्मियों को कश्मीर के भीतरी इलाकों से जिला मुख्यालयों व तहसील मुख्यालयों में तैनात कर दिया गया है। करीब 600 कश्मीरी हिंदुओं को उनके द्वारा सुझाए गए स्थान पर नियुक्त किया गया है।
खुफिया नेटवर्क को मजबूत बनाने पर जोर
गृह मंत्रालय की बैठक बाद आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ अभियान तेज करने का फैसला लिया गया है। साथ ही पूरे प्रदेश में खुफिया नेटवर्क को और मजबूती देने के लिए कहा गया है। पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के खुफिया नेटवर्क में अनुभवी और प्रशिक्षित अधिकारियों व कर्मियों को तैनात किया जाएगा। यह सभी एजेंसियां एक दूसरे से खबरें साझा करेंगी।
अमरनाथ यात्रा: चप्पे—चप्पे पर रहेगी नजर
अमरनाथ यात्रा के लिए प्रदेश में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की प्रक्रिया को 15 जून तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि गृह मंत्रालय ने पहले 350 कंपनी भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इनमें से 180 कंपनी तैनात की जा चुकी हैं। शेष की तैनाती जल्द हो रही है। इन कपंनियों में से 20 कंपनी को दक्षिण कश्मीर और श्रीनगर के साथ सटे इलाकों में आतंकरोधी अभियानों में भी शामिल किया जाएगा।
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