7 मार्च 2006 को वाराणसी के संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इस मामले में आज गाजियाबाद जनपद न्यायालय ने मुख्य आरोपी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई है। उसे प्रयागराज जनपद के फूलपुर से गिरफ्तार किया गया था। घटना के बाद एक अभियुक्त को यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इस मामले को सपा सरकार वापस लेना चाहती थी।
विवेचना के बाद साक्ष्य संकलित किया गया और इस मामले में आरोप पत्र जनपद न्यायालय में दाखिल किया गया। वाराणसी जनपद के अधिवक्ताओं ने इस मुकदमे को लड़ने से मना कर दिया था, इसलिए इस मुकदमे के ट्रायल की कार्यवाही को गाजियाबाद के जनपद न्यायालय में स्थान्तरित कर दिया गया था। जब 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तब सरकार ने उन आतंकवादियों पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने का प्रयास किया था। इसके बाद वाराणसी के अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर करते इस मामले में सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा था कि क्या कल इन आरोपियों को सरकार पद्मभूषण से भी नवाज देगी।
सामाजिक कार्यकर्ता याचिकाकर्ता नित्यानंद चौबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि “संदिग्ध आतंकियों पर से मुकदमा हटाने की पहल करके क्या सरकार आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रही है ? यह कौन तय करेगा कि आतंकवादी कौन है ? जब मामला न्यायालय में है तो बेहतर होगा कि न्यायालय ही तय करे कि आतंकी कौन है।”
उल्लेखनीय है कि 7 मार्च 2006 की शाम दस मिनट के अंतराल पर हुए इन बम धमाकों में 18 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हो गए थे। ऐतिहासिक संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन आतंकियों के निशाने पर थे।
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