जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है। राज्य में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने से यहां पर सात विधानसभा सीटों में बढ़ोतरी होगी। इससे यहां कुल 90 सीटें हो जाएंगी। जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें होंगी। रिपोर्ट जारी होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
गौरतलब है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की सात सीटें बढ़ाई जानी हैं। इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी। बता दें कि रिपोर्ट में जम्मू संभाग में छह व कश्मीर संभाग में एक विधानसभा सीट को बढ़ाया गया है। पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू—कश्मीर में नौ विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया जा रहा है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही सात विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं। राज्य की नई विधानसभा में कश्मीरी हिन्दुओं और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू—कश्मीर के विस्थापितों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
इसके अलावा लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है। अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें होंगी। पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामूला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं। लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत अनंतनाग सीट को अनंतनाग-राजोरी पुंछ के नाम से जाना जाएगा। प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी। उधमपुर सीट से रियासी जिले को निकालकर जम्मू में जोड़ा गया है।
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