पंजाब की कांग्रेस इकाई में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ घमासान अब तक नहीं थमा है। चुनाव में हार के बाद प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू फिर से इस पद को पाने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। हालांकि पार्टी राज्य के किसी सांसद को पार्टी की कमान सौंपना चाहती है। पार्टी में खींचतान का आलम यह है कि अभी तक नेता प्रतिपक्ष भी नहीं चुना जा सकता है।
चुनाव में हार के बाद कुछ दिनों तक अलग-थलग रहे, सिद्धू पार्टी नेतृत्व पर एक बार फिर प्रदेशाध्यक्ष बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। इसके लिए उन्होंने मंगलवार को लुधियाना में अपने समर्थकों के साथ बैठक की। पूर्व विधायक के आवास पर बुलाई गई बैठक में पूर्व और मौजूदा विधायक सहित 30 नेता मौजूद रहे। खास बात यह कि सुखपाल सिहं खैहरा भी इसमें शामिल हुए। इससे पहले शनिवार को भी सिद्धू ने कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी में बैठक की थी। इसमें 24 नेता शामिल हुए थे। इस बैठक में खैहरा भी मौजूद थे। वहीं, राकेश पांडे का कहना है कि इस बैठक में लुधियाना और आसपास के प्रमुख नेताओं को बुलाया गया था।
उधर, विधानसभा चुनाव में हार का पता लगा रही टीम ने प्रदेशाध्य क्ष पद के लिए सोनिया गांधी के पास चार लोगों के नाम भेजे हैं। इनमें दो मौजूदा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और संतोख सिंह चौधरी के नाम शामिल हैं। हालांकि सिद्धू दोबारा प्रधान पद मांग रहे हैं, जबकि गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर सिंह राजा वंडि़ग भी इस दौड़ में शामिल हैं। पार्टी में अंदरूनी कलह का आलम यह है कि चुनाव के बाद भी पार्टी नेता नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इसे देखते हुए पार्टी जल्द ही प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव कर सकती है। इस दौड़ में रवनीत सिंह बिट्टू और संतोष चौधरी सबसे आगे बताए जा रहे हैं। कांग्रेस 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बदलाव करना चाहती है। लेकिन सिद्धू की सक्रियता को देखकर यह चुनाव उतना आसान नहीं दिख रहा।
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