पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट के बगटुई गांव में हिंसा और आगजनी में दो बच्चों सहित कई लोगों की मौत की घटना को कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर अपराध करार देते हुए आज ही इस मामले पर दो बजे सुनवाई करने का आदेश दिया है। वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग ने मीडिया में आई खबरों के आधार पर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा के मामले का संज्ञान लिया है।
बीरभूम जिले के बगटुई गांव में बरशाल ग्राम पंचायत के उपप्रमुख भोदु शेख की सोमवार शाम हत्या कर दी गई थी। उसके बाद भड़की हिंसा के बाद गांव में आगजनी की गई जिसके बाद दो बच्चों और एक महिला सहित आठ लोगों के शव बरामद किये गए हैं। आज सुबह 10:30 बजे कोर्ट शुरू होने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजश्री भारद्वाज की खंडपीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर दोपहर 2:00 बजे सुनवाई का फैसला किया है।
इस मामले को स्वत: संज्ञान लेकर मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि यह घटना स्तब्ध करने वाली है। उन्होंने कहा, ''यह एक गंभीर अपराध है। इस घटना में बच्चों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। कुछ घरों में आगजनी की गई।" मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "बगटुई में हुई घटना की जांच होनी चाहिए। दोषी लोगों को उचित सजा मिलनी चाहिए। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।" इसके अलावा अधिवक्ता अनिद्य कुमार दास ने एक जनहित याचिका भी लगाई है जिसमें नरसंहार की सीबीआई अथवा एनआईए से जांच कराने की मांग की गई है। दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होगी। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी पक्ष रखेंगे।
मीडिया में आई खबरों के आधार पर मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर बीरभूम में प्रभावित महिलाओं की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आयोग महिलाओं सहित लोगों पर हो रही हिंसा से आहत है। इन क्षेत्रों में महिलाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
उधर, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बीरभूम के पुलिस अधीक्षक नागेंद्रनाथ त्रिपाठी को पत्र लिखकर घटना की जांच की मांग की है। आयोग ने एक पत्र में कहा है कि घटना की जांच रिपोर्ट तीन दिन के भीतर आयोग को सौंपी जाए।
उल्लेखनीय है कि बीरभूम जिले में एक राजनीतिक कार्यकर्ता की हत्या की वजह से क्षेत्र में आठ घरों में आग लगा दी गई, इसके परिणाम स्वरूप महिलाओं और नाबालिगों सहित 8 लोगों की मौत हो गई।
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