शुक्रवार को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह में घरेलू शेयर बाजार ने निवेशकों को राहत देते हुए करीब ढाई प्रतिशत की तेजी के साथ अपने साप्ताहिक कारोबार का अंत किया, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगला कारोबारी सप्ताह शेयर बाजार के लिए एक बार फिर भारी साबित हो सकता है।
शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी भी कारोबार के लिए सकारात्मक माहौल नहीं बन सका है। पिछले सप्ताह शेयर बाजार में तेजी आने की एक बड़ी वजह उन चुनिंदा शेयरों में हुई चौतरफा खरीदारी भी रही है, जो पिछले 4 सप्ताह के दौरान काफी नीचे गिर गए थे। ऐसे शेयरों में निवेशकों ने पिछले सप्ताह जमकर खरीदारी की।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव परिणाम ने भी शेयर बाजार के सेंटीमेंट्स को मजबूत किया। इन पांचों राज्यों में से चार में भाजपा अपने बूते सरकार बना रही है, जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भी एकतरफा जीत हासिल करके सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। किसी भी राज्य में बाहरी समर्थन से बनने वाली अल्पमत की सरकार का गठन नहीं हो रहा है। इस वजह से इन राज्यों में भी राजनीतिक स्थिरता के साथ ही कारोबारी स्थिरता भी आएगी।
इन वजहों से पिछला कारोबारी सप्ताह शेयर बाजार के लिए सकारात्मक जरूर रहा, लेकिन अगले कारोबारी सप्ताह को लेकर जानकार आशंका जता रहे हैं। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का मानना है कि आने वाले सप्ताह में भी भारतीय शेयर बाजार पर रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर बना रहेगा। अगर युद्ध तेज हुआ और पश्चिमी देशों का दखल बढ़ा, तो शेयर बाजार पर निगेटिव सेंटीमेंट्स हावी हो सकते हैं।
इसके साथ ही अगले सप्ताह अमेरिका में फेडरल रिजर्व की बैठक भी होने वाली है। इस बैठक के बाद अमेरिका का केंद्रीय बैंक अपने ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लेने वाला है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कितनी बढ़ोतरी करता है, इसका असर भी दुनियाभर के शेयर बाजार की चाल पर पड़ेगा, क्योंकि ब्याज दरों में होने वाली बढ़ोतरी के हिसाब से ही विदेशी निवेशक वैश्विक बाजारों से अपना पैसा निकालने की बात पर आखिरी निर्णय लेंगे।
जानकारों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार की चाल महंगाई पर भी निर्भर करेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जितनी तेजी से कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी हुई है, उसके हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 12 से 15 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि संभव है कि ये बढ़ोतरी एक बार में ना होकर छोटे-छोटे किस्तों में की जाए, लेकिन अगर पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो इसका असर निश्चित रूप से महंगाई पर भी पड़ेगा। ऐसे में पहले से ही महंगाई से त्रस्त भारतीय बाजार पेट्रोल और डीजल की कीमत में होने वाली बढ़ोतरी के कारण और भी ज्यादा दबाव में आ सकता है। बाजार पर पड़ने वाला ये दबाव घरेलू शेयर बाजार को भी प्रभावित कर सकता है।
इन्वेस्टर्स प्वाइंट के चीफ एनालिस्ट रंजीत बरुआ के मुताबिक अगले सप्ताह शेयर बाजार की चाल विदेशी निवेशकों के रुख पर भी काफी हद तक निर्भर करेगी। विदेशी निवेशक एक महीने से अधिक समय से लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इसकी वजह से शेयर बाजार पर लगातार दबाव बना हुआ है। हालांकि विदेशी निवेशकों की बिकवाली का जवाब देने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों ने चौतरफा खरीदारी करके बाजार पर ज्यादा दबाव की स्थिति नहीं बनने दी है। इसके बावजूद बाजार पर दबाव बना हुआ है।
ऐसे में अगर इस सप्ताह भी विदेशी निवेशकों ने बिकवाली जारी रखी, तो घरेलू शेयर बाजार को दबाव का सामना करना पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि मौजूदा परिस्थिति में छोटे और खुदरा निवेशकों को हड़बड़ी में किसी भी तरह का निवेश करने से बचना चाहिए। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति के मद्देनजर शेयर बाजार आने वाले दिनों में रूसी हमले के झटके से बुरी तरह से क्रैश भी हो सकता है। हालांकि लंबे समय के लिए निवेश करने वाले निवेशक चुनिंदा शेयरों की चाल का समग्र विश्लेषण करने के बाद निवेश करने की योजना बना सकते हैं।
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