पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों को कुचलने की एक और घटना सामने आई है। जमशोरो जिले के शहर सान में गत दिनों 50 से ज्यादा सिंधियों पर देशद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें कुछ वक्त के लिए हिरासत में लेने के बाद उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के समाचार मिले हैं। उन पर यह आरोप इसलिए लगाया गया है क्योंकि वे सान में एक देशभक्त नेता जी.एम. सैयद की 118वीं जयंती के मौके पर कथित देश विरोधी नारे लगा रहे थे।
उधर पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने प्रशासन की इस कार्रवाई की भर्त्सना की है। आयोग ने मांग की है कि उन सिंधियों के विरुद्ध लगाए गए आरोप अविलंब हटाए जाएं। आयोग के अनुसार, सैयद की जयंती पर जिला जमशोरो के सान शहर में इकट्ठे हुए 50 से ज्यादा सिंधी देशभक्त नागरिकों के विरुद्ध मामला दर्ज करना दिखाता है कि यहां प्रशासन किसी भी तरह की मतभिन्नता को सहन नहीं कर सकता।
सैयद की जयंती के इस कार्यक्रम में देशद्रोह के आरोपी सारंग जोयो भी उपस्थित थे। ये वही नेता हैं जिन्हें साल 2020 में जबरदस्ती 'गायब' कर दिया गया था। मानवाधिकार आयोग का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह असहमति के स्वर दबा देती है, उसके लिए उसने 'देशद्रोही' बताने का तरीका अपनाया है।
उल्लेखनीय है कि सैयद की जयंती के इस कार्यक्रम में देशद्रोह के आरोपी सारंग जोयो भी उपस्थित थे। ये वही नेता हैं जिन्हें साल 2020 में जबरदस्ती 'गायब' कर दिया गया था। मानवाधिकार आयोग का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह असहमति के स्वर दबा देती है, उसके लिए उसने 'देशद्रोही' बताने का तरीका अपनाया है।
पाकिस्तान के मशहूर अंग्रेजी दैनिक द डॉन में छपी खबर के अनुसार वहां 16 और 17 जनवरी को विरोध प्रदर्शन हुए थे। ये विरोध प्रदर्शन जय सिंध तहरीक (जेएसटी) और जय सिंध महाज (जेएसएम) गुटों ने मरहूम नेता की कब्र के पास किए थे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से सिंध सूबे से 'लापता' हुए राजनीतिक कार्यकर्ताओं को छोड़ने की मांग की थी। बस इसी से गुस्से में आकर प्रशासन ने सिंधी समुदाय के 34 प्रतिनिधियों के विरुद्ध मामला दर्ज करा दिया।
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