उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के बाद किसकी सरकार बनेगी? इस बात को लेकर देश के टीवी न्यूज चैनलों ने अपने-अपने सर्वे में कयास लगाए हैं। सर्वे में ज़ी न्यूज़ को छोड़कर अन्य चार चैनलों ने बीजेपी की सरकार में वापसी का दावा किया है। टीवी न्यूज चैनल्स के सर्वे कितने सत्य के करीब होते हैं इस बात का जवाब तो दर्शकों और पाठकों के पास होता है। उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होने जा रहा है। जिसपर न्यूज़ चैनलों ने अपना सर्वे रिपोर्ट प्रसारित किया है।
टाइम्स नाऊ समूह का सर्वे ये दावा करता है कि उत्तराखंड में बीजेपी फिर से सरकार बनाने जा रही है। टाइम्स नाऊ कहता है कि बीजेपी को 70 में से कम से कम 40 और ज्यादा से ज्यादा 50 सीटें मिलेंगी, जबकि कांग्रेस 12 से 15 तक सिमट जाएगी। यहां इनका सर्वे "आप" को 5 से 8 और अन्य को दो सीटें जीतने का दावा करता है। एबीपी न्यूज़ का सर्वे कहता है बीजेपी को 70 में से 31 से 37 सीटे मिलेंगी और कांग्रेस को 30 से 36, आम आदमी पार्टी को 2 से 4 और अन्य को 01 सीट मिल सकती है। नवम्बर माह में हुए सर्वे में आज तक ने बीजेपी को 36 से 40 सीट, कांग्रेस को 30 से 34 आप को 2 और अन्य को एक सेट दी थी। आर भारत ने बीजेपी को 36 से 42, कांग्रेस को 25 से 31 आप को 0 से 2 और अन्य 1 से 3 सीटे आने की बात कही। कुछ दिन पहले ज़ी न्यूज़ का सर्वे आया जिसमें उसने बीजेपी को 31 से 35 सीट, कांग्रेस को 33 से 37,आप को 0 से 2 और अन्य को 2 सीटें दी है।
इन सभी सर्वे का अवलोकन करें तो ये स्पष्ट होता है कि ज्यादातर न्यूज़ चैनल्स यही तर्क दे रहे हैं कि बीजेपी पुनः सरकार बना सकती है, जबकि आमतौर पर उत्तराखंड में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की सरकार पिछले 22 सालों में बनी है। 2016 में बीजेपी को 70 में से 57 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला था, उस वक्त किसी न्यूज़ चैनल सर्वे में ये बात नहीं की थी कि बीजेपी को 50 के पार भी बहुमत मिल सकता है। हालांकि पोलिंग के बाद एक दो न्यूज़ चैनलों ने कहा था कि बीजेपी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने वाली है।
उत्तराखंड में बीजेपी की वापसी डबल इंजन की सरकार के स्लोगन पर टिकी हुई है, उत्तराखंड की जनता में शिक्षित वर्ग ज्यादा है उन्हें ये मालूम है कि केंद्र ने यहां एक लाख चालीस हजार करोड़ की मदद विभिन्न बड़ी परियोजनाओं में की हुई है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इतनी मदद किसी भी केंद्र सरकार ने नहीं की। बीजेपी उत्तराखंड के वोटर्स को यही समझा रही है कि केंद्र में और राज्य में एक ही सरकार होगी तभी बड़ी परियोजनाओं का काम पूरा कराया जा सकेगा। पीएम मोदी अपनी तीन जनसभाओं में यही बात पुरजोर ढंग से समझा भी गए कि डबल इंजन की सरकार से ही उत्तराखंड का भला होगा। रहा सवाल कांग्रेस का जो कि कुनबों में बंटी हुई है। बीजेपी के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद को सीएम का चेहरा बता रहे हैं, जबकि इस बात को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस में ही विरोध है।
बीजेपी को फायदा इस बात का भी मिल रहा है कि उसने विकास के साथ-साथ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की राह पकड़ कर चुनाव लड़ना है। केदारनाथ संवरने के बाद मोदी सरकार बद्रीनाथ धाम को संवारने जा रही है। वहां तक ऑल वेदर रोड बन रही है। हरिद्वार की कायापलट हो चुकी है। यानि हिन्दू तीर्थस्थलों का चौमुखी विकास हो रहा है, जो आजतक किसी सरकार ने नहीं किया। वैसे ही देहरादून में बनने वाला सैन्य धाम भी शहीद सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान में बन रहा है, जिनकी संख्या उत्तराखंड के हर गांव में है। बहरहाल चुनाव दिलचस्प मोड़ पर है। दल-बदल राजनीति भी हो रही है। देखना अब ये है कि इन चैनलों के सर्वे कितने सटीक बैठते हैं।
टिप्पणियाँ