यूपी-उत्तराखंड में बढ़ रहे कोरोना और फ्लू के केसेस के बाद एक बार फिर से आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में उछाल आया है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने फिर से आयुर्वेदिक काढ़ा, चवनप्राश, शहद आदि की तरफ रुख किया है। यूपी और उत्तराखंड में पिछले एक महीने से लगातार कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। कोरोना के साथ-साथ सर्दी जुकाम फ्लू रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। कमरतोड़ बुखार, सर्दी जुकाम, गला खराब, फ्लू का लक्षण भी है, कोरोना की रिपोर्ट जिनकी निगेटिव आ रही है, उन रोगियों को फ्लू की श्रेणी में रखा जा रहा है।
फ्लू और कोरोना के रोगियों के लिए आयुर्वेद दवाएं पहली प्राथमिकता है, यही वजह है कि बाजार में दवा की दुकानों में आयुर्वेदिक दवाओं में एनर्जी बूस्टर, काढ़ा, शहद, चवनप्राश आदि की मांग बढ़ गयी है। हल्द्वानी के कैमिस्ट अतुल वर्मा बताते हैं कि जब से फिर से कोविड केसेस में वृद्धि हुई है। इस रोग में उपयोगी आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में पंद्रह से बीस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो लोग कोविड, फ्लू रोगी नहीं भी है वो भी इसका सेवन कर रहे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ विनय खुल्लर कहते हैं कि कोविड के पिछले दो फेज में आयुर्वेद की दवाएं खास तौर पर काढ़ा और अन्य एनर्जी बूस्टर ही काम आया। उन्होंने बताया कि दूध में शहद, दूध में हल्दी ने कोविड रोगियों में एक बूस्टर एनर्जी का काम किया है। डॉ खुल्लर बताते हैं कि सूखा मेवा जैसे बादाम, छुआरा, पिस्ता आदि भी कोविड रोगियों के लिए उपयोगी है।
उन्होंने बताया कि यह सच है कि लोगों ने अब अपने घरों में कोरोना और फ्लू की आयुर्वेदिक दवाएं रिजर्व के तौर पर भी रखने लगे हैं। आगरा आयुष विभाग के चिकित्सक लोकेंद्र प्रताप का कहना है कि कोरोना आने का लोगों को इंतज़ार नहीं करना चाहिए। इन सर्दियों में काढ़ा, चवनप्राश, शहद आदि का सेवन करते रहना चाहिए। भारत के कुछ मसाले ऐसे हैं जो कि आयुर्वेदिक औषधि ही है, जैसे काली मिर्च, हल्दी है इन्हें अपनी रोजमर्रा की आदत में शामिल कर लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब से कोविड का भय फिर से सताने लगा है तब से लोगों में फिर से आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ रुझान बढ़ गया है।
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