नेपाल ने एक बार फिर सीमा का मुद्दा उठाया है। उसने लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना ‘अभिन्न अंग’ करार देते हुए भारत से क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियां बंद करने की अपील की है। साथ ही, कूटनीतिक माध्यम से सीमा मुद्दे को सुलझाने की प्रतिबद्धता दिखाई है। नेपाल सरकार की ओर से यह बयान काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास द्वारा सीमा मुद्दे पर रुख स्पष्ट करने के संबंधी जारी करने के अगले दिन आया है।
दरअसल, लिपुलेख में भारत सड़क निर्माण कर रहा है। इसे लेकर मीडिया रिपोर्ट पर नेपाल के विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है, जिसमें दावा किया गया है कि भारत सरकार उन इलाकों में निर्माण गतिविधियां चला रही है, जिन्हें नेपाल ने अपने नक्शे में शामिल किया है। नेपाल के मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-एकीकृत (सीपीएन-यूएमएल) ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से सीमा मुद्दे पर बोलने और लिपुलेख पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। यूएमएल के विदेश विभाग के प्रमुख राजन भट्टराई ने कहा था कि यूएमएल का अटूट विश्वास है कि सड़कों और अन्य संरचनाओं का निर्माण रोक दिया जाना चाहिए तथा बातचीत के जरिये समस्या का जल्द निपटारा किया जाना चाहिए। तब तक कोई ढांचा नहीं बनाया जाए।
इसी के बाद काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को कहा कि नेपाल के साथ सीमा मुद्दे पर भारत का रुख सर्वविदित, सुसंगत है और स्पष्ट है। इस विषय में नेपाल सरकार को भी अवगत करा दिया गया है। भारतीय दूतावास ने अपने बयान में कहा था, ‘‘हमारा मत है कि स्थापित अंतर सरकारी तंत्र और माध्यम वार्ता के लिए सबसे उपयुक्त हैं। हमारे करीबी एवं मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की भावना के अनुरूप लंबित सीमा मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।’’
लेकिन एक दिन बाद रविवार को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और नेपाल सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कर्की ने कहा कि महाकाली नदी के पूरब में स्थित लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र नेपाल का अविभाज्य हिस्सा है। इसलिए नेपाल की अपील करती है कि भारत सरकार नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सड़कों का निर्माण एवं विस्तार जैसे सभी एकतरफा कदम रोक दे। साथ ही, कहा कि नेपाल सरकार दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का ऐतिहासिक संधि, दस्तावेजों व मानचित्र तथा नेपाल-भारत के बीच नजदीकी व मैत्री संबंधों के अनुसार समाधन के लिए प्रतिबद्ध है।
बता दें कि पिछले साल नवंबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कहा था कि धारचूला होकर लिपुलेख दर्रे से मानसरोवर तक सड़क को लेकर नेपाल में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया गया था। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने का कहना था कि सड़क बन जाने के बाद कैलाश-मानसरोवर के लिए यात्रा सुलभ हो जाएगी। केंद्र ने घाटियाबागर से लिपुलेख तक सड़क निर्माण के लिए 60 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
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