पाकिस्तान में कठमुल्ले इतने अक्खड़ और बेलगाम हो चले हैं कि सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश को खुलेआम धता बताने लगे हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जमीनों पर बनी मस्जिदें हटाने का फैसला क्या सुनाया, वहां की उलेमाओं की संस्था भड़क गई और मुख्य न्यायाधीश के फैसले को ही चुनौती देने पर उतारू हो गई। इससे इस्लामी देश में एक नया झंझट खड़ा हो गया है।
पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत के सबसे बड़े न्यायाधीश ने हाल में आदेश दिया था कि कराची में सरकारी जमीनों पर बनी मस्जिदें हटा दी जाएं। इस फैसले को आए 24 घंटे नहीं बीते थे कि शीर्ष अदालत को धमकियां दी जाने लगीं। पाकिस्तान की कट्टर इस्लामी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम की सिंध इकाई का महासचिव मौलाना राशिद महमूद सूमरो भड़क उठा। उसने सुप्रीम कोर्ट को मस्जिद गिराने की बात पर खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान में सरकारी जमीनों पर बनी इमारतों को गिराना ही चाहते हैं तो सबसे पहले उन पर बने स्कूलों को गिराओ, सैनिक छावनी को गिराओ, इसके बाद मस्जिद की तरफ आंख उठाना।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सूमरो की ये चुनौती उसके एक वीडियो द्वारा सोशल मीडिया पर सामने आई है। वीडियो में वह कहता दिख रहा है कि 'क्या इसे मदीने की रियासत कहा जाता है कि मंदिर तो महफूज है, और मस्जिद गिराने का हुक्म सुप्रीम कोर्ट देती है? जब तक हम जिंदा हैं किसी में जुर्रत नहीं कि मस्जिद की एक ईंट भी गिरा दे'।
पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक द ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार, सूमरो ने यह चुनौती दी है सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद तथा सिंध सूबे के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह को। अदालत ने सिंध के प्रशासन को उक्त आदेश दिया था कि कराची में अवैध रूप से बनीं मस्जिदों को हटा दिया जाए। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस के नाम का उल्लेख करते हुए सुमरो ने कहा कि, पाकिस्तान में मस्जिद लावरिस नहीं हैं कि जब चाहे उन्हें ढहाने का हुक्म सुना दिया।
उल्लेखनीय है कि इसी सप्ताह पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय एमेनिटी पार्क की जमीन पर बनी एक मस्जिद, दरगाह तथा कब्रिस्तान को हटाने का फैसला सुनाया था। अदालत के आदेश के बाद कट्टरपंथी सूमरो की यह चेतावनी सामने आई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सूमरो की ये चुनौती उसके एक वीडियो द्वारा सोशल मीडिया पर सामने आई है। वीडियो में वह कहता दिख रहा है कि 'क्या इसे मदीने की रियासत कहा जाता है कि मंदिर तो महफूज है, और मस्जिद गिराने का हुक्म सुप्रीम कोर्ट देती है? जब तक हम जिंदा हैं किसी में जुर्रत नहीं कि मस्जिद की एक ईंट भी गिरा दे'।
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