जम्मू—कश्मीर में आतंकी आकाओं के नए—नए पैंतरे देखने को मिल रहे हैं। अगस्त, 2019 के बाद जम्मू—कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों की जमात में कश्मीर फ्रीडम फोर्स (केएफएफ) नाम का पांचवा ऐसा संगठन उगा है, जिसने हाल ही में बिजबिहाड़ा के अरवनी में बीते दिनों सीआरपीएफ के बंकर पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी ली है। अन्य चार संगठनों की तरह इसके नाम में भी इस्लाम का असर नजर नहीं आता। ध्यान देने वाली बात यह है कि आतंकी संगठन अब खुद को पूरी तरह से स्थानीय बताने लगे हैं, ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि कश्मीर हिंसा आतंकवाद न होकर कश्मीरियों की भारत के खिलाफ जंग है।
संगठन पुराने, मुखौटा नया
द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ), कश्मीर टाइगर्स (केटी), युनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट (यूएलएफ) और कश्मीर फ्रीडम फोर्स (केएफएफ) नामक पांच संगठन अगस्त, 2019 के बाद से सामने आने शुरू हुए। खबरों की मानें तो इन सभी आतंकी संगठनों का जुड़ाव पुराने और कुख्यात आतंकी संगठनों से है और उनके आतंकी ही छदम तरीके से इनमें घुलमिल गए हैं। जानकार मानते हैं कि यह एक रणनीति के तहत किया गया है। इनमें से किसी का नाम भी कश्मीर में पहले से सक्रिय आतंकी संगठनों की तरह इस्लामिक जिहाद और गैर मुस्लिमों के खिलाफ जंग का ऐलान करने वाले संगठन का संकेत नहीं देता है। दूसरी बात, लश्कर, जैश, हिजबुल जैसे आतंकी संगठन और उनके सरगना भी कानूनी शिकंजों से बचना चाहते हैं। उन्हें सिर्फ भारत ने ही नहीं अमेरिका ने भी मोस्ट वांटेड आतंकी करार दे रखा है। ऐसे हालात में वह अपने संगठनों को लो प्रोफाइल रखते हुए नए संगठनों के जरिए आतंकी हिंसा को जारी रखने की साजिश कर रहे हैं। इसमें उन्हें पाकिस्तान का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
सुरक्षा बलों के लिए बने कड़ी चुनौती
घाटी में उग आए नए आतंकी संगठन सुरक्षा बलों के लिए भी चुनौती बने हुए हैं। इनमें नए—नए लड़के बहकाकर शामिल किए गए हैं, जो आकाओं के इशारों पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का मकसद सिर्फ कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा को इस्लामिक आतंकवाद के दायरे से किसी तरह से दूर रखना है और यह बताना है कि कश्मीर में आतंकी हिंसा नहीं बल्कि कश्मीरियों की भारत के खिलाफ आजादी की जंग है। टीआरएफ, पीएएएफ या इन जैसे जो नए संगठन सामने आए हैं, वह सिर्फ नाम के लिहाज से नए हैं। ये जैश, लश्कर और हिजबुल के ही नए लबादों में हैं। आतंकी संगठनों के नाम से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, जो यहां हिंसा फैलाएगा, देश की एकता और अखंडता के खिलाफ काम करेगा, मारा जाएगा।
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