तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं के बिगड़े बोल आने लगे हैं। वह इसकी आड़ में राज्य के माहौल को खराब करने की कोशिश में हैं। इसी कड़ी में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि जिस तरह से 700 किसानों के बलिदान के बाद केंद्र को कृषि कानूनों को निरस्त करना पड़ा है, उसी तरह से केंद्र द्वारा छीने गए अपने अधिकारों को वापस पाने के लिए हमें भी ‘बलिदान देने’ के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
फारूक अब्दुल्ला ने हजरतबल में अपने शेख अब्दुल्ला की पुण्यतिथि के मौके पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर नेता और कार्यकर्ता को गांव और इलाके के लोगों के संपर्क में रहना होगा। उन्होंने कहा कि ये याद रखना चाहिए कि हमने राज्य को अनुच्छेद 370 और 35A देने का वादा किया है और इसके लिए हम कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि क्या पर्यटन बढ़ना ही सब कुछ है ? आपने 50,000 नौकरियों का जो वादा किया था उसका क्या ? अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर ये भी आरोप लगाया कि जो लोग नौकरियों पर थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
गौरतलब है कि इससे पहले 19 नवंबर को पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने भी इशारों में अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की मांग की थी।
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