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कोयले को लेकर गहलोत-बघेल में तनातनी

by WEB DESK
Nov 24, 2021, 03:02 pm IST
in भारत, राजस्थान
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छत्तीसगढ़ सरकार की मंजूरी के बिना राजस्थान अपने ही कोयला खदान में खनन नहीं कर पा रहा है। अशोक गहलोत बार-बार भूपेश बघेल से अनुरोध कर रहे हैं, इसके बावजूद छत्तसीगढ़ सरकार खनन की मंजूरी नहीं दे रही है। 

कोयला खनन को लेकर दो कांग्रेस शासित राज्य, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारें आमने-सामने हैं। राजस्थान में कोयले की किल्लत के कारण बिजली पर संकट मंडरा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ उसे कोयला नहीं दे रहा है। 

केंद्र सरकार ने 2015 में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को छत्तीसगढ़ में तीन कोयला ब्लॉक आवंटित किए थे, लेकिन एक में ही उत्‍पादन हो रहा है। अन्य दो ब्लॉक परसा ईस्ट और कांता एक्‍सटेंशन ब्लॉक में देरी के कारण उत्पादन नहीं हो रहा है।

पिछले माह जब राजस्थान में कोयले के कारण बिजली संकट गहराया था, तब उच्च स्तंरीय वार्ता के बाद गहलोत ने कोयला मंत्रालय से इन खदानों में खनन के लिए 2 नंवबर को क्लीयरेंस जारी करवाई। उन्‍होंने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 21 अक्तूबर को ही मंजूरी ले ली थी।

राज्य के बिजली विभाग के अधिकारी भी कई बार छत्तीसगढ़ के शीर्ष अधिकारियों से दोनों खदानों में जल्दी खनन की मंजूरी देने का आग्रह कर चुके हैं। बता दें कि परसा कोयला ब्लॉक में सालाना 50 लाख टन और कांता ब्लॉक में सालाना 90 लाख टन उत्पादन की क्षमता है। 

इस तरह, राजस्थान ने भाग-दौड़ करके दो केंद्रीय मंत्रालयों से 15 दिनों में दो महत्वपूर्ण मंजूरी लेने में सफल रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ की भूपेश गहलोत सरकार ने इन फाइलों को अटका दिया। छत्तीसगढ़ सरकार खदानों में खनन की मंजूरी नहीं दे रही है। गहलोत के बार-बार अनुरोध के बावजूद छत्तीेसगढ़ सरकार इस पर स्पष्ट रूप से कुछ बोल नहीं रही है। इसके कारण राजस्थान सरकार अपने ही खदान में कोयला खनन नहीं कर पा रही है। कोयले की किल्लत के कारण राज्य में एक बार फिर बिजली संकट की नौबत आ गई है।

दरअसल, परसा कोल ब्लॉक की जमीन छत्तीसगढ़ वन विभाग के दायरे में आती है। वहां वनवासी क्षेत्र के लोग और स्थानीय नेता खनन का विरोध कर रहे हैं। इसी कारण छत्तीसगढ़ सरकार कोयला खनन की मंजूरी नहीं दे रही है। इधर, गहलोत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर खनन कराने का आग्रह कर रहे हैं।

उन्होंने अक्तूबर में भी परसा और कांता ब्लॉ‍क में खनन को लेकर बघेल से आवश्यक मंजूरी देने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की थी। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। राज्य के बिजली विभाग के अधिकारी भी कई बार छत्तीसगढ़ के शीर्ष अधिकारियों से दोनों खदानों में जल्दी खनन की मंजूरी देने का आग्रह कर चुके हैं। बता दें कि परसा कोयला ब्लॉक में सालाना 50 लाख टन और कांता ब्लॉक में सालाना 90 लाख टन उत्पादन की क्षमता है। 

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