नई दिल्ली में संत ईश्वर फाउंडेशन ने राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से 'संत ईश्वर सम्मान समारोह — 2021' का आयोजन किया। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघसंचालक श्री मोहन भागवत ने सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों हेतु जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे कुछ संगठनों और समाजसेवियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा विशिष्ट अथिति थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संत सम्मान फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना ने की।
सम्मानित लोगों और संस्थानों में पश्चिम बंगाल से श्री सुकुमार रॉय चौधरी, कर्नाटक से श्री शांताराम बुदना सिद्धि, मेघालय से श्री हजोंग अर्णब, झारखंड से श्री मेघा उरांव, महाराष्ट्र से डॉक्टर निरुपमा सुनील देशपांडे, मध्य प्रदेश से श्री आशीष कुमार गुप्ता, हरियाणा से श्री धर्मबीर चहल, कर्नाटक से श्री ए.पी. चन्द्रशेखर, उत्तराखंड से साध्वी कमलेश भारती, असम की संस्था 'रूरल हेंल्थ एंड वी', बिहार की संस्था 'बिरसा सेवा प्रकल्प', आंध्र प्रदेश की संस्था 'अमृतवर्शिनी बाल कल्याण आश्रम', महाराष्ट्र की संस्था 'विवेकानंद सेवा मंडल', दिल्ली से श्री चरंजीव मल्होत्रा, गुजरात से आर्य चावड़ा, असम की संस्था 'आत्मनिर्भर- एक चैलेंज' का नाम मुख्य रूप से शामिल है। इन सभी को सम्मानस्वरूप प्रतीक चिह्न, शॉल और प्रशस्तिपत्र दिया गया।
अपने आशीवर्चन में श्री भागवत ने कहा कि सेवाभाव के कारण ही मनुष्य, मनुष्य माना जाता है। सेवा का भाव मनुष्य के अंतर्मन में निहित होता है। संवेदनशील व्यक्ति ही सेवा कर सकता है।मनुष्य यदि संवेदनशीलता को चुनता है तो देवता बन जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य यदि अपने मन की संवेदना की सुनता है, तो वह नर से नारायण हो जाता है और यदि वह अपने अंदर के अहंकार की सुनता है तो वह नर से अधम बन जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सेवा करने वाला अपने लिए किसी भी तरह की अपेक्षा नहीं करता है। सेवा तो मन से की जाती है। सेवा मनुष्य की मनुष्यता की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है।
श्री भागवत ने कहा कि भारतीय समाज की संरचना ऐसी है कि वह किसी का विरोध नहीं करता। समाज में रहने वाला व्यक्ति पूजा—पद्धति को अपनाए या न अपनाए, लेकिन समाज का हर व्यक्ति 'सेवा' भाव से अपनी क्षमता अनुसार कार्य करता है। यही एक कार्य है जो मनुष्यता का स्वरूप है। मनुष्य में यह भाव तभी आता है जब वह पूरी तरह से करुणा, सदाचार, पवित्रता और संयमयुक्त हो और किसी के विरोध में नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज की सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह सदियों से सबको प्रेरित करती रही है और आगे भी युवा पीढ़ी को प्रेरित करती रहेगी।
श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आज यहां जिन सेवाभावियों का सम्मान किया जा रहा है, वे निस्वार्थ भाव से चुपचाप सेवा कार्य कर रहे हैं। ये लोग नए भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी अलग-अलग तरीके से सेवा कार्य करते हैं, लेकिन जिन्हें कोई दायित्व नहीं दिया गया हो, वे स्वयं की जिम्मेदारी निर्धारित करके काम करते हैं वे वास्तव में सम्माननीय हैं।
संत ईश्वर सम्मान समिति के अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना ने कहा कि सम्मानित संस्थाओं और व्यक्तियों ने समाज में दूसरों के कष्ट को पहचाना, वे समस्याओं को लेकर सरकार के पास नहीं गए, उन्होनें किसी को दोष नहीं दिया, उन्होंने उपलब्ध सीमित संसाधनों से ही समाज कार्य किया और दूसरों की सहायता की।
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