केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को मणिपुर के तामेंगलोंग जिला के लुआंगकाओ गांव में रानी गाइडिनल्यू स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की आधारशिला रखेंगे। इस परियोजना को भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 15 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्वीकृत किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल ने तामेंगलोंग जिला के लुआंगकाओ गांव में संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया था, जोकि प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइडिनल्यू का जन्मस्थान है।
रानी गाइडिनल्यू का जन्म 26 जनवरी, 1915 को मणिपुर राज्य के तामेंगलोंग जिला के ताओसेम उप-मंडल के लुआंगकाओ गांव में हुआ था। 13 साल की उम्र में वह नगा नेता जादोनाग से जुड़ी हुई थीं और उनके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन में उनकी लेफ्टिनेंट बन गईं। 1926 या 1927 के आसपास जादोनांग के साथ उनके चार साल के जुड़ाव ने उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ सेनानी बनने के लिए तैयार किया। जादोनांग को फांसी दिए जाने के बाद गाइडिनल्यू ने आंदोलन का नेतृत्व संभाला। जादोनांग के बलिदान के बाद गाइडिनल्यू ने अंग्रेजों के खिलाफ एक गंभीर विद्रोह शुरू किया, जिसके लिए उन्हें 14 साल के लिए अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया और आखिरकार 1947 में रिहा कर दिया गया।
अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए, उन्हें "रानी" कहा जाने लगा। भारत को आजादी मिलने के बाद उन्हें तुरा जेल से रिहा किया गया था। 17 फरवरी, 1993 को रानी गाइडिनल्यू का उनके पैतृक गांव लुआंगकाओ में निधन हो गया। उन्हें 1972 में ताम्रपत्र, 1982 में पद्म भूषण, 1983 में विवेकानंद सेवा सम्मान, 1991 में स्त्री शक्ति पुरस्कार और 1996 में भगवान बिरसा मुंडा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने 1996 में रानी गाइडिनल्यू का एक स्मारक टिकट जारी किया था। 2015 में उनके जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री ने सौ रुपये का सिक्का और पांच रुपये का प्रचलन सिक्का जारी किया। भारतीय तटरक्षक बल ने 19 अक्टूबर, 2016 को एक तेज गश्ती पोत "आईसीजीएस रानी गाइडिनल्यू" को चालू किया।
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