पंजाब कांग्रेस में लगातार शॉर्ट सर्किट हो रहा है। पहले प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू सूबे के महाधिवक्ता और पुलिस महानिदेशक को हटाने की मांग को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमले करते रहे। अब जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने महाधिवक्ता एपीएस देओल को हटा दिया है तो इसे लेकर कांग्रेस में घमासान मच गया है। इस बार सांसद मनीष तिवारी ने देओल को हटाने के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, इशारा किया है कि पंजाब कांग्रेस में स्थिति सामान्य नहीं है।
आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाब के दोनों पूर्व महाधिवक्ताओं अतुल नंदा और एपीएस देओल को ‘राजनीतिक शीतयुद्ध’ में पंचिंग बैग की तरह इस्तेमाल किया गया। यह दर्शाता है कि सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बावजूद पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह जारी है। कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा कि महाधिवक्ता के कार्यालय का राजनीतिकरण करना संवैधानिक पदाधिकारियों की अखंडता को कमजोर करता है। मनीष तिवारी की यह टिप्पणी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह द्वारा महाधिवक्ता एपीएस देओल का इस्तीफा स्वीकार करने के एक दिन बाद आया है। देओल में राज्य सरकार के काम में दखल देने और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा गलत सूचना फैलाने के आरोपों के बीच इस्तीफा दे दिया था। राज्य के पुलिस महानिदेशक को भी बदला जाएगा। अभी आईपीएस इकबाल प्रीत सिंह सहोता डीजीपी के रूप में कार्य कर रहे हैं। नए महाधिवक्ता की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी।
और क्या कहा तिवारी ने?
तिवारी ने एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए। उन्होंने सिद्धू का नाम लिए बिना नसीहत दी कि जो महाधिवक्ता का विरोध कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वकील किसी एक मुवक्किल से नहीं बंधा होता है। एक वकील कोर्ट, न्यायाधिकरण और प्राधिकरण के समक्ष कोई भी मुकदमा लड़ सकता है। साथ ही, विशेष परिस्थितियों में वह मुकदमा लेने से इनकार करने का अधिकार भी रखता है। चूंकि पंजाब सरकार ने नए महाधिवक्ता को नियुक्त करने का फैसला ले ही लिया है तो अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को ध्यान में रखकर ही नियुक्ति की जाए। इसी के साथ उन्होंने काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों की एक प्रति भी साझा की है।
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