राकेश सैन
क्रिकेट खिलाड़ी से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू की हिट विकेट की आदत नहीं छूट रही। नेहरू-गांधी परिवार से अपनी नजदीकियों का लाभ उठा कर कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से चलता करने के बाद अब उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी उसी अंदाज में घेरना शुरू कर दिया है। रोचक बात यह है कि अभी पिछले सप्ताह ही सिद्धू-चन्नी ने अपने साथियों के साथ केदारनाथ जाकर एकजुटता की तस्वीरें खिंचवाई थीं, परन्तु वापस आते ही सिद्धू फिर ‘मिसगाइडेड मिसाइल’ की तरह फट पड़े हैं। इसको देख कर कांग्रेस के सांसद रवनीत बिट्टू ने रीट्वीट किया है कि ‘केदारनाथ समझौता टूट गया है।’
सिद्धू जिन मुद्दों को लेकर कैप्टन को घेरते थे, उन्हीं मुद्दों पर उन्होंने चन्नी पर हमला बोला है। उन्होंने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापस लेने की घोषणा तो की, लेकिन साथ ही यह शर्त भी रख दी कि जब तक एडवोकेट जनरल व डीजीपी नहीं हटाए जाते तब तक वह कांग्रेस भवन नहीं जाएंगे। सिद्धू ने कहा, ‘दो मुद्दे थे, बेअदबी और ड्रग्स। एक मुख्यमंत्री को हटाया, दूसरे को लगाया। 90 दिन की सरकार है। 50 दिन बीत गए, लेकिन इन दोनों मुद्दों पर कुछ नहीं हुआ।‘ गौरतलब है कि बीते मंगलवार को ही मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ सिद्धू केदारनाथ में बाबा के दर्शन करने गए थे। वहां, उन्होंने हाथ पकड़ कर फोटो खिंचवाते हुए यह संदेश देने का प्रयास किया था कि सरकार और संगठन के बीच सब ठीक है। वहां से लौटने के बाद भी मीडिया से बातचीत में उन्होंने यही कहा था कि चन्नी को मुख्यमंत्री बने महीना ही हुआ है। बिजली सस्ती कर दी है। बाकी मुद्दे भी सुलझ जाएंगे, लेकिन अब उन्होंने फिर पंजाब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सिद्धू ने पंजाब सरकार को चुनौती देते हुए कहा, ‘अगर सरकार में ड्रग्स मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं है, तो यह रिपोर्ट पार्टी को दे दें। मैं सार्वजनिक कर दूंगा। मुझमें हिम्मत भी है और दम भी। पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी की आंख का तारा रहे इकबाल प्रीत सिंह सहोता और सैनी को ब्लैंकेट बेल दिलवाने वाले एपीएस देयोल को डीजीपी और एजी लगाया गया। इन्होंने बादलों को सुरक्षा कवच दिया। इकबाल प्रीत सिंह सहोता ने ही 2015 में एसआईटी का प्रमुख होते हुए बरगाड़ी कांड में क्लीन चिट दे दी थी। हमें चुनाव में लोगों को इस मुद्दे जवाब देना पड़ेगा। ड्रग्स के मुद्दे को प्रकाश में लाने वाले राहुल गांधी थे। हमें हाईकमान की सोच पर पहरा देना होगा। रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से कौन रोक रहा है। न तो कोर्ट ने मना किया है और न ही हाईकमान ने।’ सरकार में भागीदार होने के सवाल पर सिद्धू ने कहा, ‘मैं किसी पाप का भागीदार नहीं हूं। मैंने पहली कैबिनेट बैठक में ही ये मुद्दे उठाने शुरू कर दिए थे और अभी तक उठा रहा हूं।’ कैप्टन के कहे अनुसार, सिद्धू कांग्रेस का सिरदर्द बनते दिख रहे हैं।
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