फिर भारत से उलझने को बेताब है चीन, नए ‘लैंड बॉर्डर लॉ’ की आड़ में कब्जाई जमीन पर अधिकार जमाने की तैयारी!
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फिर भारत से उलझने को बेताब है चीन, नए ‘लैंड बॉर्डर लॉ’ की आड़ में कब्जाई जमीन पर अधिकार जमाने की तैयारी!

by WEB DESK
Oct 25, 2021, 01:04 pm IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात के सीमा प्रहरी (फाइल चित्र)

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात के सीमा प्रहरी (फाइल चित्र)

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 नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने बीजिंग में संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को पारित किया। ताजा जानकारी के अनुसार, अगले साल 1 जनवरी को यह कानून लागू कर दिया जाएगा

भारत तथा चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर चीन की शैतानी मंशा में एक और पहलू तब जुड़ गया जब उसने अपनी संसद के परसों खत्म हुए सत्र में सीमावर्ती इलाकों के संबंध में अपनी 'संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता को उल्लंघन से परे' बताते हुए नया लैंड बार्डर लॉ पारित कराया। उल्लेखनीय है कि भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ उधर भूटान के साथ 400 किलोमीटर की सीमा पर बीजिंग का विवाद चल रहा है।

देश की 'संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता' को ‘पवित्र’ बताने वाले इस नए कानून को संसद ने सीमावर्ती इलाकों के संरक्षण और उपयोग संबंधी बताते हुए पारित किया है। लेकिन जानकार मानते हैं कि इस कानून का भारत-चीन सीमा विवाद पर पड़ सकता है। चीन की सरकारी मीडिया एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, 25 अक्तूबर को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति ने बीजिंग में संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को पारित किया था। ताजा जानकारी के अनुसार, अगले साल 1 जनवरी को यह कानून लागू कर दिया जाएगा।
 

कानून कहता है कि 'देश समानता, आपसी भरोसे तथा दोस्ती के माहौल में बातचीत के सिद्धांतों का पालन करते हुए ही पड़ोसी देशों के साथ सीमांत जमीन से जुड़े विषयों से निबटेगा। लेकिन कानून के इस पहलू को लेकर भी विशेषज्ञ शंका में हैं, क्योंकि उनका मानना है कि तकनीकी भाषा की आड़ में चीन दावा कर सकता है कि उसने 'सीमा क्षेत्रों की वस्तुस्थिति को अंतिम रूप से स्वीकार्य कहने की बात पहले ही कह दी है। इसलिए फिलहाल विवादित क्षेत्र पर कोई बात नहीं की जा सकती है'। 

शिन्हुआ की रिपोर्ट आगे बताती है कि यह कानून सीमा सुरक्षा को मजबूती देने, आर्थिक तथा सामाजिक विकास में मदद देने, सीमावती क्षेत्र खोलने, उन क्षेत्रों में लोकसेवा तथा ढांचागत विकास करने, उसे बढ़ावा देने तथा उन क्षेत्रों के लोगों के जीवन तथा काम में मदद देने के लिए पारित किया गया है। कानून कहता है कि 'देश समानता, आपसी भरोसे तथा दोस्ती के माहौल में बातचीत के सिद्धांतों का पालन करते हुए ही पड़ोसी देशों के साथ सीमांत जमीन से जुड़े विषयों से निबटेगा।

कानून कहता है कि लंबे समय से लटके सीमा विवादों के उचित निपटारे के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया जाएगा। लेकिन कानून के इस पहलू को लेकर भी विशेषज्ञ शंका में हैं, क्योंकि उनका मानना है कि तकनीकी भाषा की आड़ में चीन दावा कर सकता है कि उसने 'सीमा क्षेत्रों की वस्तुस्थिति को अंतिम रूप से स्वीकार्य कहने की बात पहले ही कह दी है। इसलिए फिलहाल विवादित क्षेत्र पर कोई बात नहीं की जा सकती है'।  

चीन का दावा है कि अपने 12 पड़ोसियों के साथ तो वह सीमा विवाद सुलझा चुका है। लेकिन भारत तथा भूटान के साथ उसने सीमा संबंधी समझौतों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने हाल में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई घटनाओं ने सीमांत क्षेत्रों में शांति को गंभीर रूप से आहत किया है जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है।
 

 
 
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